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सोमवार, 8 जून 2015

चीजों को ऐसे देखें जैसे पहली बार देखे रहे हैं, जीवन से उबेंगे नहीं

अमृत साधना ओशो मेडिटेशन रिर्जाट, पुणे
रोज-रोज वही जिंदगी जीने से लोग उब जाते हैं इसलिए जिंदगी में कुछ नयापन चाहते हैं, उसके लिए देश विदेश की यात्रा करते हैं, नए संबंध बनाते हैं, लेकिन एक बात भूल जाते हैं कि उनका मन  तो पुराना ही है। जिन आंखों से दुनिया देखते हैं वे तो बासी ही हैं। शरीर को तो रोज धोते हैं, साफ  सुथरा रखते हैं, लेकिन मन न जाने कब धोया था, या कभी नहीं धोया। वर्षो की स्मृतियां पड़ी है भीतर। कितने घाव दबे हैं, कितनी इच्छाएं लहरा रहीं हैं। फिर जीवन का अनुभव उसी पुराने मन से लेते हैं। जीवन रोज नया होता जाता है जैसे सुरज रोज नया होता है, वृक्ष रोज नए होते हैं। पक्षी रोज वही राग आलापते हैं, लेकिन कितना नया ताजा लगता है।

रविवार, 7 जून 2015

जिन्होंने की होंडा कंपनी की शुरूआत

सोइचिरो होंडा: जापानी इंजीनियर, इंडस्ट्रीयलिस्ट और आॅटोमोबाइल जायंट सोइचिरो होंडा, होंडा कंपनी के मालिक हैं। इनका जन्म 17 नवंबर 1906 को हामामात्सु में हुआ था।
सोइचिनो होंडा का जीवन बाधाओं से पार पाने और मेहनत के बल पर सफलता हासिल करने की कहानी है। उनका बचपन पिता के साथ साइकिल रिपेयरिंग का काम करते हुए बीता। जब वह हाई स्कूल में थे, एक कंपनी टोक्यो आर्ट शोकाई का विज्ञापन देखा, जो आॅटोमोबाइल और गैसोलीन इंजर रिपेयर करती थी। सोइचिरो ने तय कर लिया कि वे इस कंपनी में काम करेंगे। 15 साल की उम्र होंडा हाई स्कूल की पढ़ाई अधूरी छोड़ आर्ट शोकाई जाॅइन करने टोक्यो पहुंच गए। कंपनी के मालिक यूजो सकाकीबारा ने जल्द ही होंडा में छुपे इंजीनियर को पहचान लिया। साकाकीबारा ने होंडा की दिलचस्पी मोटर स्पोट्र्स में जगाई।

शनिवार, 6 जून 2015

ऐसे बन सकता है जीवन और ज्यादा मुश्किल

1: दूसरे लोग इसलिए आपको दर्द पहंुचाते हैं, क्योंकि आप उनसे जिस तरह के व्यवहार की उम्मीद  करते हैं, उस तरह का बर्ताव नहीं करते हैंः इसे उदाहरण से समझते हैं। आॅफिस में आपकी टीम है। उसमें एक सदस्य अपना काम अच्छे से कर रहा है, लेकिन उसका काम उस तरह से नहीं है जिसकी आप उम्मीद करते हैं। आप उससे कुछ और उम्मीद करते हैं, वे कुछ और ही करता जा रहा है। इससे आपको दर्द पहुंचता है। इतना ही नहीं, जिस तरह के व्यवहार या बर्ताव की उम्मीद उससे कर रहे है,  वैसा वे नहीं कर रहा है। इस समस्या से बाहर निकलने का सबसे आसान तरीका यह है कि किसी भी व्यक्ति से कोई उम्मीद न करिए। उम्मीद करने से दर्द पहुंचता है। न उम्मीद करंेगें, न ही दर्द ही पहुंचेगा।

शुक्रवार, 5 जून 2015

जागृत होने के लिए खुद के भीतर देखिए

कार्ल जंग: 26 जुलाई 1875 - 6 जून 1961
कार्ल गुस्ताव जंग स्विटजरलैंड के विचारक और मनोचिकित्सक थे। उन्हें विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान का फाउंडर माना जाता हैं। उन्होंनंे दर्शनशास्त्र, समाज, साहित्य, कला और धार्मिक अध्ययन के क्षेत्र में भी काम किया है।

गुरुवार, 4 जून 2015

खुद को प्यार करने के कुछ असरदार तरीके


  1. समय -समय पर खुद को बताते रहिए कि आपको खुद में क्या चीजें पसंद हैं। ऐसा करने से आपको खुद से प्यार हो जाएगा।
  2.  दूसरे लोगों की रजा़मंदी के लिए इंतजार करना बंद कर दीजिए। जो आपको लगता है, वह जरूरी करिए। किसी का इंतजार करने की जरूरत नहीं है।
  3. जैसे हैं, वैसे ही रहिए और उसके साथ जुड़े रहिए।
  4. जो लोग आपको नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं उनके साथ दूरी बनाए रखिए।
  5. जो कुछ अतीत में हो चुका है, उसे भूल जाइए। आगे बढ़ते रहिए। इसी से फायदा होगा।
  6. जिन चीज़ोें से आपको लगता है कि फायदा होगा, उन्हें अपनी रूटीन में जल्दी से जल्दी शामिल करिए।
  7. जो गलतियां आपने अब तक नहीं कि हैं, उन्हें भी समझिए और दूरी बनाए रखिए। 
  8. आप जो हैं या अभी आपके पास जो है, उसके लिए खुद को शुक्रगुजार रहिए।


बुधवार, 3 जून 2015

मुफ्त में नहीं मिलती नींद

अमृत साधना: ओशो मेडिटेशन रिजाॅर्ट , पुणे।
हम जो भी चीज लाते हैं उसके लिए हम कोई न कोई कीमत चुकाते हैं। लेकिन नींद के बारे में हम  कभी नहीं सोचते कि क्या हमने इसकी कीमत चुकाई हेै या कि हम इसे मुफ्त में चाहते हैं? नींद की कीमत क्या है? श्रम। एक समय था जब गहरी नींद की कीमत लोग दिन भर श्रम करके चुकाते थे। पर अब नींद समस्या बन गई है।
नींद दो तलों पर होती है शरीर की और मन की। आधुनिक आदमी दोनों तलों पर कीमतें नहीं चुकाता। शरीरिक नींद के लिए दिन भर शरीर को इतना थकना होता है कि रात बिस्तर पर गिरते ही नींद आ जाए इसे कबीर बड़ी खूबसूरती से कहते है, ‘जिन आंखों में नींद घनेरी तकिया और बिछौना क्या रे!‘ बीच बजार में सड़क के किनारे मैली चादर ओढ़कर गहरी नींद सोए किसी मजदूर को देखा है? उसे ट्रैफिक का शोर विचलित नहीं करता। लेकिन मुलायम गद्दों पर लोग करवटें बदलते रहते हैं। 

मंगलवार, 2 जून 2015

कष्ट उठाने से ही किस्मत अच्छी बनेगी

एडगर एलन 1809 - 1849: अमेरिकन राइटर, क्रिटिक और एडिटर एडगर एगल पो को उनकी रहस्यमयी और हाॅरर कहानियों व कविताओं के कारण जाना जाता हैं। उन्होंने आधुनिक डिटेक्टिव कहानियों की शुरूआत की 1845 में उनका लिखा रावेन उनकी श्रेष्ठ कविता मानी जाती है।
1: अगर आप किसी बात को तुरंत भूल जाना चाहते हैं तो समझ लीजिए यह याद रखने की बात है। 
2: जो आपने देखा उस पर आधा ही भरोसा कीजिए और जो सुना उस पर बिल्कुल नहीं।
3: नफरत के एक मिनट में प्यार के कई साल भुला दिए जाते हैं।

सोमवार, 1 जून 2015

भावनाओं पर काबू रखने वाले इन 8 बातों से रहते हैं दूर

भावनाओं पर काबू रखना सबसे मुश्किल होता है, लेकिन जो लोग अपनी भावनाओं पर काबु रखना जानते हैं उनके लिए मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति से निकलना आसान हो जाता है। ऐसे लोग आठ
तरह के काम बिल्कुल नहीं करते हैं। जानिए इनके बारे में...
1: दूसरो लोग उनके साथ जैसा भी बर्ताव करें, भावनाओं पर काबू रखने वाले लोग कभी किसी के व्यवहार को निजी तौर पर नहीं लेते हैं। वे दूसरों की बातों को सुनते हैं और उसे वहीं भूल जाते है। उसे अपने दिल में नहीं रखते हैं।
2: उनके सामने जैसी भी परिस्थिति आए, वे कभी रिएक्ट नहीं करते हैं। ऐसा भी नहीं है कि उनके साथ हो रहे गलत व्यवहार का जवाब नहीं देते हैं। लेकिन वे माइंडफुली चलते हैं। यानी गुस्से में आकर जवाब देने के बजाय दिमागल से काम लेते हैं।
3: ऐसे लोग बदलाव पसंद करते हैं। उनके लिए बदलाव जिंदगी का महत्वपूर्ण अंग रहता हैं। वे बदलाव को सकारात्मक सोच के साथ अपनाते हैें। बदलाव से भागने या दूर होने की कोशिश नहीं करते हैं। वे बदलती परिस्थिति के साथ खुद को खूबसूरती के साथ बदल देते हैं, जिससे किसी को परेशानी ना आए।
4: उनके साथ कुछ गलत होता है या वे कोई गलती करते हैं, तो वे कभी यह सोचने नहीं लग जाते कि दुनिया खत्म होने वाली है। अब कुछ भी सुधरेगा नहीं या जिंदगी पहले की तरह वापस पटरी पर लौटेगी नहीं। वे अपनी सोच को सकारात्मक रखते है। उनका ध्यान हमेशा आगे बढ़ने पर होता है। वे कभी, किसी एक चीज़ पर खुद को रोक नहीं लेते है।
5: जीवन में उनके साथ कभी कुछ निगेटिव हुआ है तो जो उनकी भावनाएं आज हैं, उन्हें पुरानी चीजों के साथ बिल्कुल भी नहीं जोड़ते हैं। उन्हें आज में जीने का हुनर बखूबी आता हैं। वे भावनाओं को सिर्फ भावनाओं की तरह लेते हैं, जिंदगी की तरह नहीं।
6: जहां लोग बहस कर रहे हों या कोई ड्रामा चल रहा हो, ऐसे लोग इन जगहो पर जाना बिल्कुल पसंद नहीं करते हेै। वे खुद को ऐसी चीजों से दूर रखते हैं।
7: भावनाओं पर काबू रखने वाले लोग खुद से नफरत नहीं करते हेैं। जब वे डिप्रशन में जाने लगते हैं तो वे खुद से पूछते हैं कि क्या उनका जन्म इन सभी चीजों के लिए हुआ था? वे हर समय नए विचारों के बारे में सोचते हैं। वे खुद को पसंद करते हैं और खुद से प्यार करने वाले जज्बात रखना चाहते है। उनका खुद के प्रति नजरिया बहुत अलग बहुत खूबसूरत होता है।
8: वे कभी परफेक्ट बनने की कोशिश नहीं करते हैं। जैसे है, वैसे ही रहने से उन्हें खुशी मिलती है। वे सभी के सामने एक-जैसे रहते हैं। उनका एक ही रंग होता है। और वे सभी के आगे वैसे ही रहते है। वे किसी दूसरे व्यक्ति के जैसे बनने का भी प्रयास नहीं करते हैं। उन्हें खुद से बेहद प्यार होता हैं। 

रविवार, 31 मई 2015

अरूण पुदूर, 13 की उम्र में गैराज चलाते थे, 34 में एशिया के सबसे धनी युवा बने


वेल्थ एक्स की लिस्ट, टॅाप 10 में चीन के छह, जापान के तीन, भारतीय टॅाप पर
अरूण पुदूर, 13 की उम्र में गैराज चलाते थे, 34 में एशिया के सबसे धनी युवा बने
जिंदगी में एक ही चैप्टर पढ़ते रहोगे तो अगले चैप्टर तक नहीं पहुंच पाओगे
- लिस्ट में नाम आते ही ट्वीट...
सबसे पहले अरूण का नाम इसी मार्च मंे फेसबुक के मार्क जकरबर्ग के साथ आया था। 40 से कम उम्र  में अरबपति बनने वाले उद्योगपतियों की लिस्ट में। तब अरूण ने एक मैगजीन को अपनी कहानी बताई थी। पढ़ीये...

शनिवार, 30 मई 2015

जीवन का स्वभाव है - मरण

अमृत साधना: ओशो मेडिटेशन रिजाॅर्ट, पुणे।
गौतम बुद्ध के संबध में यह ख्याल है कि उनके धर्म में स्त्रियों का स्थान नहीं है। चूंकि उनका धर्म कठोर तपस्या पर आधारित है, सिर्फ भिक्षुओं को ही उसमें दीक्षा दी गई। मोटे तौर पर यह सच भी हो  लेकिन आश्चर्य की बात है, आम्रपाली जो कि एक वेश्या थी उसने बुद्ध से दीक्षा ली। उसे भिक्षुणी संध की मुखिया बनाया गया था। 
ओशो एक और स्त्री की कहानी बताते हैं। उसका नाम था किसा गौतमी। उसे बुद्ध ने जिस प्रकाश ज्ञान दिया वह घटना भी हृदयस्पर्शी है। किसा गौतमी का बेटा अचानक मर गया। एक ही बेटा था, पति पहले ही मर चुका था। किसा गौतमी जैसी हो गई। गांव भर में अपने बेटे की लाश को लेकर घूमती थी कि कोई मेरे बेटे को जिंदा कर दो। फिर किसी ने सलाह दी कि गौतम बुद्ध का गांव में आगमन हुआ है, तू उन्हीं के पास जा। शायद उनके आशीष से कुछ हो जाए। किसा गौतमी ने बुद्धं के चरणों में ले जाकर अपने बेटे की लाश रख दी और कहाः मेरे बेटे को जिंदा कर दीजिए। आपके आशीर्वाद से क्या न हो सकेगा ? बुद्ध ने कहाः जरूर कर दूंगा, लेकिन पहले तुम्हे एक शर्त पूरी करनी पड़ेगी। शर्त यह है कि तू गांव जा और किसी के घर से  मुट्ठी भर सरसों के दाने मांग ला। मगर घर ऐसा हो जिसमें मौत कभी न हुई हो।

शुक्रवार, 29 मई 2015

मुश्किलों से ऐसे निकलिए बाहर

बातें जिनसे दिमाग को मिलेगा सुकुन
जीवन में उतार-चढ़व लगे रहते हैं। जरूरत है तो बस खुद को बैलेंस्ड रखने की। कई बार दिमाग में चल रही हलचल में खुद को बैलेंस्ड रखना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में दिमाग को शांत रखने के लिए कुद बातें फायदेमंद रहेगी। जानिए इनके बारें में -
1: हर चीज दो बार बनती है। एक बार दिमाग और दूसरी बार हकीकत में। इसलिए अपनी सोच को काबू में रखिए, क्योंकि आपकी सोच ही असलियत का रूप लेगी।
2: आज आपके साथ जो कुछ हो रहो है उसमें ऐसा कुछ नहीं है जो आपको आगे बढ़ने से रोकेगा। एक वक्त में एक ही कदम बढ़ाए।

रविवार, 17 मई 2015

डाइट, हाॅर्मोन, स्टैªस हैं कारण

डाॅ. आरके जोशी: सीनियर कंसल्टेंट डर्माटोलाॅजिस्ट, अपोलो हाॅस्पिटल, नई दिल्ली।
50 वर्ष की उम्र में भी हो सकते हैं मुंहासे
कुछ लोगों को 30, 40, और 50 साल की उम्र में भी एक्ेन ( मंुहासे )ेेे की समस्या होती है। यह भी हो सकता है कि आपको पहली बार इसी उम्र में एक्ने हो। इसके कई कारण हैं। जैसे-तनाव, हाॅर्मोन और डाइट। आॅइल, मिट्टी और डेड सेल्स के मिलने ये पोर खुल जाते हैं। तनाव का एक्ने से सीधा रिश्ता है। तनाव के कारण शरीर में एंड्रोजेन हाॅर्मोन बनने लगता है। यह हाॅर्मोन त्वचा में आॅइल ग्लैंड बढ़ाते हैं, जिनसे एक्ने की समस्या होती है। फैमिली हिस्ट्री का भी असर पड़ता है। बालों और त्वचा पर इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स में कुछ कैमिकल ऐसे डाले जाते हैं जिनसे एक्ने की समस्या होती है। कुछ दवाओं का साइड इफेक्ट एक्ने ही है। कई बार एक्ने किसी बीमारी का लक्षण भी हो सकते हैं।

शनिवार, 16 मई 2015

वर्जिल को मेडिसिन और एस्ट्रोनाॅमी की भी अच्छी जानकारी थी

वर्जिल रोम के प्राचिन कवि थे। इनका जन्म 15 अक्टूबर 70 ईसा-पूर्व में हुआ और 21 सितंबर 19 ईसा-पूर्व को निधन हो गया था। इनका पूरा नाम पुब्लियस वेरगिलियस मारो था।
1: जो लोग मुश्किलोें का सामना करना जानते हैं, अच्छी किस्मत उन्हीं के साथ होती है।
2: प्यार के बदले प्यार मिलता है। प्यार किसी तरह के नियम- कानून को नहीें समझता है, और ऐसा ही सभी के साथ है।
3: ऐसे व्यक्ति से आपकी मुलाकात कभी-भी नहीं होगी, जो पूछेगा कि जंग ताकत से जीती या स्ट्रेटजी बनाकर।
4: उसी व्यक्ति का यकीन करिए जो वैसी ही मुश्किल से गुज़र चुका हो।
5: गुजरता वक्त कभी वापस नहीं आता हैं।
6: वहीं लोग सफल होते हैं जो जानते हैं कि वे सफल ही होंगें।
7: सबसे अच्छा वक्त, सबसे जल्दी गुजर जाता है।
8: जो कुछ भी हो, लेकिन बुरे वक्त को धैर्य और समझदारी से ही जीत सकते हैं।
9: डर लगने का अर्थ है कि दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है।

शुक्रवार, 15 मई 2015

हर पल का उठाइए भरपूर मजा़

हम लिमिटेड वेलिडिटी वाले प्रीपेड कार्ड की तरह हैं
टाटा गु्रप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने यह स्पीच सिम्बायोसिस, पुणे में कुछ वक्त पहले दी थी। वाॅट्सएप पर इन दिनों इसे काफी शेयर किया जा रहा है।
न सिर्फ अकैडमिक गोल्स और न ही अपना ध्यान सिर्फ कॅरियर बनाने में लगाइए। खुद के लिए कुछ लक्ष्य ऐसे बनाइए जिनसे बैलेंस्ड और सफल जीवन मिले। बैलेंस्ड से अर्थ है अच्छा स्वास्थ्य, मजबूत रिश्ते और किसी तरह का कोई मानसिक तनाव ना हो। आपका मूड जिस दिन सबसे ज्यादा खनाब है,

गुरुवार, 14 मई 2015

लोग चाहे जो सोचें इन बातों के साथ जुड़े रहिए

उन चीजोें को जीवन से बाहर करिए जो आपकी नहीं हैं या जिनसे आपका कोई फायदा नहीं है। ऐसा करने का मन नहीं भी कर रहा है तो भी करिए।

कैडबरी के संस्थापक ने दो सदी पहले बर्मिंघम में शुरू किया था कारोबार।

अकेले बनाई कंपनी , अब हैं 80 हजार कर्मचारी
1854 में जाॅन कैडबरी को क्वीन विक्टोरिया की ओर से पहला राॅयल वाॅरंट मिला, जिसमें उन्हें शाही परिवार के लिए चाॅकलेट बनाने को कहा गया।
फिलहाल कैडबरी कंपनी की कुल संपत्ती 11 बिलियन पाउंड ( करीब 1 हजार अरब रूपए ) है
18वीं सदी के इंग्लैंड में ‘क्वाॅकर्स फैमिली‘ नामक समुदाय थे। ये लोग खुद को ‘दोस्तो का धार्मिक समूह‘ कहते थे। इनकी अपनी मान्यताएं, परंमपराएं और नियम तो थे लेकिन वे किसी चर्च या धार्मिक 
संस्था से नहीं जुडे़ थे। ईश्वर और अपने बीच किसी अन्य की मौजूदगी उन्हें नापसंद थी। यूरोप की  यूनिवर्सिटीज में आमतौर पर इनके बच्चों को प्रवेश नहीं मिलता था और न ही इन्हे सेना में जाने का अवसर मिलता था। ऐसे में मेडिकल, इंजीनियरिंग या सेना का कॅरिअर क्वाॅकर्स युवाओं के लिए दूर की कौड़ी था। जाहिर है बिजनेस ही उनके लिए एकमात्र सुरक्षित रास्ता था। ऐसे ही एक परिवार में 12 अगस्त 1801 को ‘कैडबरी‘ के संस्थापक जाॅन कैडबरी का जन्म हुआ। जाॅन के साथ दिक्कत यह थी कि उनका परिवार शराब, मांस, धूम्रपान आदि व्यसनों का मुखर विरोधी था। खुद जाॅन की भी अपनी परंपरा और मूल्यों के प्रति गहरी आस्था थी। इसलिए उस दौर के अन्य युवाओं की तरह वे किसी भी बिजनेस में हाथ नहीं डाल सकते थे।े
जाॅन अपने स्कूली दिनों में पाॅेंकेट मनी के लिए लीड्स की एक काॅफी शाॅप में काम कर चुके थे। 1824 में उन्होंने अल्कोहल पीने वालों को स्वास्थ्य के लिए हितकर ड्रिंक उपलब्ध कराने की सोच के साथ बर्मिंघम इलाके में दो कमरों में एक काॅफी शाॅप खोली। यहां उन्होंने चाय-काॅफी के साथ छोटा हिस्सा कोको और चाॅकलेट ड्रिंक के लिए रखा। दुकान चल निकली, लेकिन दिलचस्प बात हुई। चाय- काॅफी  से ज्यादा मांग जाॅन की चाॅकलेट ड्रिंक की थी, सो उन्होंने इसी उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया। इसके बाद की कहानी इतिहास में दर्ज है। कैडबरी कंपनी की शुरूआत करने के दो साल बाद 1826 में जाॅन ने अपने से दो साल बड़ी प्रिसिला एना डेमंड से शादी की, लेकिन शादी के दो साल बाद ही एना  की  मौत हो गई। 1832 में जाॅन ने कैन्डिया बारो से शादी की इस दंपती के सात बच्चे हुए।
15 साल के भीतर ही जाॅन कैडबरी अपनी खास तरह की चाॅकलेट और डिंªक्स के कारण पूरे ब्रिटेन में एक लोकप्रिय नाम हो गए। तब तक उनके भाई बैंजामिन भी कंपनी से जुड़ चुके थे और कंपनी को ‘कैडबरी ब्रदर्स‘ के नाम से जाना नाता था। 1831 में जाॅन ने एक चार मंजिला इमारत में फैक्ट्री शुरू की। 1842 तक आते-आते जाॅन की कंपनी कैडबरी 16 तरह के चाॅकलेट डिंªक और कोको बना रही थी। 1847 में जाॅन ने बर्मिंधम के बीचों-बीच नई इमारत में अपनी फैक्ट्री स्थानांतरित कर दी। 50 के दशक में जाॅन और बैंजामिन के बीच खटास आ गई और बैंेजामिन कंपनी से अलग हो गए। इसी दौर में जाॅन के बेटों रिचर्ड और जाॅर्ज ने बितनेस में रूचि लेना शुरू किया। 1861 में स्वसस्थ्य संबंधी दिक्कतों के कारण जाॅन रिटायर हो गए। इस वक्त उनके बेटे रिचर्ड की उम्र 25 साल और जाॅर्ज की उम्र 21 साल थी। इन युवाओं को स्थापित कारोबार मिला था, जिसे नई उंचाई पर पहुंचाया।
रिचर्ड-जाॅर्ज ने पिता के पारंपरिक तरीकों के साथ नई तकनीक का मेल कर कैडबरी को दुनियाभर की चहेती चाॅकलेट बनाया। 11 मई 1889 को जाॅन कैडबरी ने दुनिया को अलविदा कह दिया। दुनिया की पहली मिल्क बार चाॅकलेट 1875 में स्विट्जरलैंड कारोबारी डेनियल पीटर ने बनाई।
इस उत्पाद से कैडबरी बंधुओं को कड़ी टक्कर मिली। 1899 में रिचर्ड की मौत के बाद जाॅर्ज ने भी कारोबार अगली पीढ़ी को सौंपने की तैयारी शुरू कर दी। हालांकि रिटायरमेंट से पहले 1905 में जाॅर्ज ने कैडबरी की मशहूर डेयरी मिल्क चाॅकलेट का अविष्कार किया।

समझदार इंसान खुद को भी देता है आदेश

यूरीपिडीस: इनका जन्म 480 ईसा पूर्व और निधन 406 ईसा पूर्व में हुआ था। यह प्राचीन ग्रीस के नाटककार थे। अरस्तू ने उन्हें ग्रीस का मोस्ट ट्रैजिक नाटककार कहा था। उन्हें अपने समय का सबसे विद्वान कवि कहा जाता है। वो बेहतरीन खिलाड़ी और का पेंटर भी थे। उन्होंने ट्रेजिडी नाटकों को आम लोगों की पसंद बना दिया।
1: सच्चे ज्ञान का सर्वोंत्तम जबाव खामोशी है।
2: जितने अधिक प्रयास होंगे, उतनी ही अधिक समृद्धि आएगी।
3: ईश्वर जिन्हें नष्ट करना चाहता है, पहले उन्हें क्रोधी बना देता है।
4: समय सब कुछ समझा देता है। वह बात करता है और बोलने के पहले उसे किसी सवाल की जरूरत नहीं होती।
5: निर्णय लेने की स्थिति में दोनों पक्षों को सुने बिना किसी फैसले पर ना पहुंचे।
6: धन-दौलत कुछ ही समय हमारे साथ रहती है। सिर्फ हमारा व्यक्तित्व हमेशा साथ रहता है, सोना नहीं।
7: अच्छाई में सभी तरह का ज्ञान मौजूद रहता है।
8: कोई भी आजाद नहीं है। लोग दौलत, किस्मत, कानून की कैद में है या अन्य लोग उन्हें इच्छा से काम करने से रोक रहे हैं।
9: जब किसी व्यक्ति का पेट भरा हो तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह अमीर है या गरीब।
10: किसी पेड़ का आकलन उस पर लगे फलों से करो, पत्तों से नहीं।
11: पहले यहे जान लो कि तुम कौन हो, फिर उस हिसाब से खुद को संवारो, विकसित करो।
12: घटनाएं अपने समय पर होती हैं। उस पर नाराज या दुखी नहीं होना चाहिए। जो आदमी समझदारी से उसमें से अच्छी बातें सीख ले वह हमेशा खुश रहता है।
13: बुद्धिमान सेनापति के दस सैनिक, दुश्मन के सौ मूर्ख सैनिको पर भारी पड़ते हैं।
14: खतरा बहादुर आदमी की आंखांे में सूर्य की किरणों की तरह चमक पैदा कर देता है।
15: हताश व्यक्ति को शब्दों के माध्यम से सांत्वना देना मदद नहीं करने के समान है। सच्चा दोस्त वह है जो संकट के समय जरूरतों को पूरा करे।
17: समृद्धि के साथ कई दोस्त भी आते हैं।
18: जो आदमी जवानी में सीखना नहीं चाहता वह अपने अतीत को खो देता है और उसके भविष्य की मौत हो जाती है।
19: भगवान उसका साथ देते हैं, जो कड़ी मेहनत करते हैं।
20:  अपने जीवन में संतुलन बनाए रखने का सबसे अच्छा और सुरक्षित तरीका है, आसपास और खुद में मौजुद ज्ञान। अगर आप इसे देख पाते हैं तो आप एक समझदार आदमी है।
21: बेशर्मी औऱ अक्खड़ता सबसे बड़ी और खराब बीमारी है।
22: साहसी व्यक्ति बिना बुद्धिमानी के असहाय है। जो आदमी अपने विचारों को आजादी से प्रकट नहीं कर सकता वह गुलाम है।
23: सबसे समझदार आदमी अपने ही आदेश का पालन करता है।

समझदार इंसान खुद को भी देता है आदेश
यूरीपिडीस: इनका जन्म 480 ईसा पूर्व और निधन 406 ईसा पूर्व में हुआ था। यह प्राचीन ग्रीस के नाटककार थे। अरस्तू ने उन्हें ग्रीस का मोस्ट ट्रैजिक नाटककार कहा था। उन्हें अपने समय का सबसे विद्वान कवि कहा जाता है। वो बेहतरीन खिलाड़ी और का पेंटर भी थे। उन्होंने ट्रेजिडी नाटकों को आम लोगों की पसंद बना दिया।
1: सच्चे ज्ञान का सर्वोंत्तम जबाव खामोशी है।
2: जितने अधिक प्रयास होंगे, उतनी ही अधिक समृद्धि आएगी।
3: ईश्वर जिन्हें नष्ट करना चाहता है, पहले उन्हें क्रोधी बना देता है।
4: समय सब कुछ समझा देता है। वह बात करता है और बोलने के पहले उसे किसी सवाल की जरूरत नहीं होती।
5: निर्णय लेने की स्थिति में दोनों पक्षों को सुने बिना किसी फैसले पर ना पहुंचे।
6: धन-दौलत कुछ ही समय हमारे साथ रहती है। सिर्फ हमारा व्यक्तित्व हमेशा साथ रहता है, सोना नहीं।
7: अच्छाई में सभी तरह का ज्ञान मौजूद रहता है।
8: कोई भी आजाद नहीं है। लोग दौलत, किस्मत, कानून की कैद में है या अन्य लोग उन्हें इच्छा से काम करने से रोक रहे हैं।
9: जब किसी व्यक्ति का पेट भरा हो तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह अमीर है या गरीब।
10: किसी पेड़ का आकलन उस पर लगे फलों से करो, पत्तों से नहीं।
11: पहले यहे जान लो कि तुम कौन हो, फिर उस हिसाब से खुद को संवारो, विकसित करो।
12: घटनाएं अपने समय पर होती हैं। उस पर नाराज या दुखी नहीं होना चाहिए। जो आदमी समझदारी से उसमें से अच्छी बातें सीख ले वह हमेशा खुश रहता है।
13: बुद्धिमान सेनापति के दस सैनिक, दुश्मन के सौ मूर्ख सैनिको पर भारी पड़ते हैं।
14: खतरा बहादुर आदमी की आंखांे में सूर्य की किरणों की तरह चमक पैदा कर देता है।
15: हताश व्यक्ति को शब्दों के माध्यम से सांत्वना देना मदद नहीं करने के समान है। सच्चा दोस्त वह है जो संकट के समय जरूरतों को पूरा करे।
17: समृद्धि के साथ कई दोस्त भी आते हैं।
18: जो आदमी जवानी में सीखना नहीं चाहता वह अपने अतीत को खो देता है और उसके भविष्य की मौत हो जाती है।
19: भगवान उसका साथ देते हैं, जो कड़ी मेहनत करते हैं।
20:  अपने जीवन में संतुलन बनाए रखने का सबसे अच्छा और सुरक्षित तरीका है, आसपास और खुद में मौजुद ज्ञान। अगर आप इसे देख पाते हैं तो आप एक समझदार आदमी है।
21: बेशर्मी औऱ अक्खड़ता सबसे बड़ी और खराब बीमारी है।
22: साहसी व्यक्ति बिना बुद्धिमानी के असहाय है। जो आदमी अपने विचारों को आजादी से प्रकट नहीं कर सकता वह गुलाम है।
23: सबसे समझदार आदमी अपने ही आदेश का पालन करता है।

रविवार, 10 मई 2015

जीवन को आसान बनाने के लिए तीन तरीके

जिंदगी को एक बार दोबारा आसान और सफल बनाने के लिए तीन बातों को याद रखिए, जानिए इनके बारे में 
1: जिंदगी को पूरी तरह से बदल नहीं सकते हैं तो याद रखिए कि आप किन चीजों को अपने साथ आगे लेकर चल रहे हैं। क्या इन चीजों से सकारात्मक बदलाव आएंगे। क्या यह चीजें वाकई जरूरी हैं।
2: आप कुछ नया नहीं करना चाहते हैं या जीवन जैसा चल रहा है उसे वैसा ही चलने रहने देना चाहते हैं तो ना बोलना सीखिए। जब तक ना बोलने की आदत नहीं पड़ेगी, तब तक कुछ न कुछ नया होता जाएगा।
3: हर दिन सौ बातों पर फोकस नहीं किया जा सकता है। सकारात्मक नतीजों के लिए एक दिन में  केवल तीन बातों फोकस करिए। तीन बातों पर फोकस पर फोकस करने से सफलता आसानी से मिलेगी। ज्यादा बातों पर ध्यान देने से कोई भी नतीजा नहीं मिलेगा।

शनिवार, 9 मई 2015

समझदार इंसान खुद को भी देता है आदेश

यूरीपिडीस: इनका जन्म 480 ईसा पूर्व और निधन 406 ईसा पूर्व में हुआ था। यह प्राचीन ग्रीस के नाटककार थे। अरस्तू ने उन्हें ग्रीस का मोस्ट ट्रैजिक नाटककार कहा था। उन्हें अपने समय का सबसे विद्वान कवि कहा जाता है। वो बेहतरीन खिलाड़ी और का पेंटर भी थे। उन्होंने ट्रेजिडी नाटकों को आम लोगों की पसंद बना दिया।

खूबसूरत जिंदगी चाहते हैं, तो हौसला भी रखिए

रोजा लग्जेम्बर्ग: 1870 में पोलेंड में जन्मीं रोजा लग्जेम्बर्ग ने विभिन्न राजनीतिक आंदोलनों पर गहरा असर डाला। 1919 में उनकी हत्या कर दी गई।
1: महिलाओं की स्वतंत्रता के बिना कोई सामाजिक लोकतंत्र जिंदा नहीं रह सकता।
2: जो लोग आगे नहीं बढ़ते, वे अपनी जंजीरों के बारे में कभी नहीं जान पाते।

गुरुवार, 7 मई 2015

मुश्किलों से ऐसे निकलिए बाहर

बातें जिनसे दिमाग को मिलेगा सुकुन
जीवन में उतार-चढ़व लगे रहते हैं। जरूरत है तो बस खुद को बैलेंस्ड रखने की। कई बार दिमाग में चल रही हलचल में खुद को बैलेंस्ड रखना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में दिमाग को शांत रखने के लिए कुद बातें फायदेमंद रहेगी। जानिए इनके बारें में -
1: हर चीज दो बार बनती है। एक बार दिमाग और दूसरी बार हकीकत में। इसलिए अपनी सोच को काबू में रखिए, क्योंकि आपकी सोच ही असलियत का रूप लेगी।
2: आज आपके साथ जो कुछ हो रहो है उसमें ऐसा कुछ नहीं है जो आपको आगे बढ़ने से रोकेगा। एक वक्त में एक ही कदम बढ़ाए।

खुद को मोटिवेट करने के लिए

खुद से उलझाने वाले सवाल पूछिए
व्यक्ति की इक्छाएं एक जैसी ही होती हैं। हम सब प्यार, सम्मान, पैसा, बेहतर भविष्य  जैसी चीजें ही अपने लिए चाहते हैं। लेकिन यह हासिल उन्हें ही हो पाती हैं जो खुद  को इसके लिए प्रेरित कर पाते हैं। खुद से ऐसे उलझाने वाले सवाल कीजिए जिनसे आगे बढ़ने का रास्ता मिले। जानिए ऐसे ही कुछ सवालों के बारे में ...
मुश्किल क्यों उठाएं: मुश्किलें सबको आती हैं, लेकिन पता होना चाहिए कि इसका मकसद क्या है। इसका दूसरा पहलू यह है कि आप कोइ इक्छा रखते हैं, लेकिन उसे पूरा करने के लिए मुश्किल उठाना नहीं चाहते। तो मान लिजिए कि आप वास्तव में वह हासिल करना ही नहीं चाहते। ेेे

बुधवार, 6 मई 2015

अपनी इच्छा से महान या तुच्छ बनते हैं आप

फ्रेडरिक शिलर जर्मन भाषा के कवि, दार्शनिक इतिहासकार एवं नाटककार थे। उन्होंने नीति शास्त्र और  सौंदर्यशास्त्र के क्षेत्र में काफी काम किया। 13 साल की उम्र में उन्हें पिता ने अनिच्छा से मिलेट्री स्कूल भेज दिया, जहां उन्होंने पहले लाॅ और बाद में मेडिसिन की शिक्षा ली। उन्होंने स्टूटगार्ट रेजीमेंट में मेडिकल आॅफिसर रहे।
    जन्म: 10 नवंबर, 1759,     किताबें: आॅन द एस्थेटिक एजुकेशन आॅफ मैन, आॅड टू जाॅय, 
निधन: 9 मई 1805 
1: जो लोग छोटे-छोटे कामों को शांतिपूर्वक और अच्छी तरह करते हैं, वो मुश्किल कामों को आसानी  से करने की क्षमता हासिल का लेते हैं।
2: मजबूत आदमी तब और मजबूत होता है जब अकेला होता हैं। ईमानदारी जीवन की हर परिस्थिति में काम आती है।
3: भूल करने और सपने देखने की हिम्मत करो। बच्चों के खेल में अक्सर गहरे अर्थ होते है।
4: नेक दिमाग वाला बनो। दूसरे व्यक्ति की हमारे प्रति राय नहीं, दिल की आवाज सच्चा सम्मान दिलाती है।
5: जो प्राकृतिक या स्वाभाविक नहीं वह अच्छाई की ओर नहीं ले जा सकता। 
6: अपनी जवानी के सपनों के प्रति सच्चाई बनाए रखिए। शक्ति सबसे प्रेरक शब्द है। युवा अवस्था लोभ करती है, लोभ से खुद को नष्ट मत होने दीजिए।
7: प्रतिशोध व्यर्थ है। यह भयानक है। यह हत्या में खुशी देता है और निराशा इसका अंत है।
8: अमीर और अमीर होते जा रहे हैं व गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। यह रूदन दुनियाभर के सभ्य  समाज में सुना जा रहा है।

मंगलवार, 5 मई 2015

नाॅन-ड्यूरेबल उत्पादों से बदला कारोबारी माहौल

किंग कैंप ने शुरूआती उत्पादों की पैकेजिंग पर फोटो और सिग्नेचर भी दिया था।
संस्थापक: किंग कैंप जिलैट
  • जिलैट का परिवार 8-10 अक्टूबर 1971 की ग्रेट शिकागो फायर का पीडि़त रहा। इसमें 300 लोगों की जान गई थी।
  • प्रथम विश्व युध्द के दौरान जिलैट कंपनी ने अमेरिकी सैनिकों के लिए खास फील्ड रेजर सेट बनाए थे।

खराब नतीजा असफलता नहीं होता

योग्यता से ज्यादा महत्वपूर्ण है भूमिका 
ग्रुप प्रोजेक्ट के नतीजे उम्मीद के मुताबिक न हों तो निराशा स्वभाविक है। यह मुश्किल का कारण तब बनता है जब हम इसके लिए केवल खुद को जिम्मेदार मानने लगते हैं। हम खुद को महत्वपूर्ण समझने लगते हैं, जबकि इससे परफॅामेंस पर बुरा असर पड़ता हैं। जानिए इससे बचने के बारे में...


  •  वर्कप्लेस पर हर काम आपके चलते ही नहीं होता। न ही हर नतीजा आपकी उम्मीदों के मुताबिक हो सकता है। 
  •  दूसरों के काम में मदद करें। महत्वपूर्ण यह है कि संस्थान के लक्ष्यों को हासिल करने में आप कैसे मदद कर रहे हैं।
  • खराब नतीजोें के बारे में सोचकर उसके असली कारणों की अनदेखी कर रहे हैं। यह जानकर ही दोबारा गलती करने से बचेंगे।
  •  नतीजों को देखने का अपना नजरिया बदल सकते है। बेहतर नतीजों के लिए क्या  करना जरूरी है, इसका रास्ता ढूंढ सकते हैं।


सोमवार, 4 मई 2015

गलती के लिए बदला नहीं माफी दीजिए

अक्सर हम दूसरों के व्यवहार से परेशान होते हैं जबकि इनपे हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता। जानिए इससे बचने के तरीकों के बारे मंे...

  •  दूसरो का व्यवहार और काम करने का तरीका उनके अपने लक्ष्यों के अनुरूप होता हैं। इसे बदलने की बजाय अपने व्यवहार को बेहतर कीजिए।
  • आपकी कामयाबी या नाकामयाबी के लिए आप खुद ही जिम्मेदार हैं। इसके लिए दूसरों को दोष देने का कोई फायदा नहीं।
  • हालात या परिस्थतियों के बारे में शिकायत करने से भी कुछ हासिल नहीं होता। उनसे मुकाबले के लिए तैयारी करना बेहतर विक्लप है। 
  • कोई जानबूझकर परेशान करने की कोशिश कर रहा है तो भी उसे माफ कर दीजिए। बदला लेने की कोशिश में आप लक्ष्य से भटक जाएंगे।


रविवार, 3 मई 2015

हेल्थ मैनेजमेंट: एन्जाइना के लक्षण और कारण

छाती में दर्द के कई कारण इन्हें पहचानना सीखिए: डाॅ. पीयूष जैेन (डिपार्टमेंट आॅफ प्रीवेंटिव कार्डियोलाॅजी, फोर्टिस हाॅस्पिटल, दिल्ली।)
छाती के दर्द यानी एन्जाइना की बीमारी। दिल को पर्याप्त मात्रा में खून न पहुंचने के कारण यह समस्या होती है। कोरोनरी आर्टरिज़ में ब्लाॅकेज इसका है। लेकिन हर तरह के छाती के दर्द को एन्जाइना नहीं कह सकते। एन्जाइना को पहचानने के लिए ध्यान रखिए-

शनिवार, 2 मई 2015

नौकरी में निखारा हुनर, उधार लेकर शुरू की अपनी कंपनी


1926 में हेंस ने पहली वाॅटरप्रूव रिस्ट वाॅच ‘ओयेस्टर ‘ बनाई। इसके बाद 1945 में ऐसी हाथ घड़ी बनाई जिसकी तारीख ख्ुाद-व -खुद बदल जाती थी। दो टाइम जोन को बताने वाली पहली रिस्ट वाॅच का श्रेय भी हेंस को जाता है।
आज रोलेक्स दुनिया का सबसे बड़ा लग्जरी वाॅच ब्रैंड है। यह हर साल 6 लाख 50 हजार से 8लाख तक घडि़या बनाती है। इसका सालाना रेवेन्य 3 बिलियन डाॅलर ( करीब 186 अरब रूपए ) है। 
जेम्स बाॅण्ड सीरीज की शुरूआत फिल्मों में इस मशहूर किरदार ने रोलेक्स की घड़ी  पहनी है। शीन काॅनेरी से शुरू हुआ यह सिलसिला पीयर्स ब्रासनन तक चला। 
हेंस विल्सडोर्फ: जन्म: 22 मार्च 1881, जर्मनी ,संस्थापक : रोलेक्स 
हेंस के बचपन में ही उनकी मां की मौत हो गई थी। मां की मौत का सदमा पिता बर्दाश्त नहीं कर सके नतीजतन वे भी चल बसे। यह 1893 की बात है। उस वक्त हेंस की उम्र 12 साल थी। हेंस के अंकल ने उसके पिता के बिजनेस को बेचकर उनका कर्ज चुकाया। बचे हुए पैसो से बच्चों की बेहतर शिक्षा का बंदोबस्त किया। तीन भाई-बहनों में हेंस अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे। बचपन में विल्सडोर्फ की रूचि गणित और भाषा में थी इससे उन्हें विभिन्न देशों की यात्रा करने और वहां काम करने में मदद मिली।
शुरू में उन्होंने दुनियाभर में मोतियों का निर्यात करने वाली एक फर्म में काम किया, जहां वैश्विक कारोबार के गुर सीखे। हेंस ने इस शुरूआती अनुभव का असर अपने पूरे जीवन पर कुबूल किया है। 1931 के एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि अगर मैंने अपनी शुरूआत निर्यात की बारीकियों को सीखने से न की होती, तो आज मैं वो नहीं होता, जो हूं।
20वीं सदी की शुरूआत के साथ ही हेंस के भीतर बैठे घड़ी के कारोबारी की यात्रा शुरू होती है। मोतियों की फर्म का काम छोड़कर महज 19 साल की उम्र में वे स्विट्जरलैंड चले गए। वहां सन् 1900 में हेंस ने उस वक्त की सबसे बड़ी घड़ी निर्यातक कंपनी कुनो कोर्टन में काम शुरू किया। यहां उन्हें दुनिया के विभिन्न हिस्सों के साझेदारों के साथ अंग्रेजी में पत्र व्यवहार करने का काम मिला। 80 फ्रेंक प्रति माह की सेलरी पर। इस वक्त जिनेवा के साथ ला चाउक्स दे फोन्ड्स घड़ी निर्माता कंपनियों का हब था। यहां हेंस की मुलाकात इस इंडस्ट्री के कई दिग्गजों से हुई।ं इन मुलाकातों में मिलीं सिखों से उन्हें रोलेक्स कंपनी की स्थापना में बड़ी मदद मिली।
1903 में हेंस ने स्विट्जरलैंड छोड़ दिया और लंदन आ गए। इस वक्त उनके दिमाग में यह साफ था कि क्या करना है। वे घड़ी निर्माता बनना चाहते थे। लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। अपने सपने को कुछ दिनों के लिए मुल्तवी कर उन्होंने लंदन में भी एक घड़ी कंपनी में काम किया। अपने चार-पांच साल के अनुभव से हेंस ने एक बात समझ ली थी कि सभी कंपनीयां घड़ी निर्मान के पुराने और स्थापित मानदंडों पर ही चल रही हैंै। कोई भी नई डिजाइन और जरूरतों के हिसाब से बदलाव नहीं कर रहा है। हेंस ने इसे अपनी ताकत बनाया। 
वे जल्द से जल्द अपना काम शुरू करना चाहते थे। जमा पूंजी उनके पास नहीं थी और बाजार से उन्हें कोई रकम नहीं मिल सकती थी। तब उन्होंने अपनी बहन से उधार लिया और जीजा अल्फ्रेड डेविस को पार्टनर बनाया। 24 साल की उम्र में 1905 में उन्होंने विल्सडोर्फ एंड डेविस नाम से लंदन में घड़ी निर्माण कंपनी शुरू की।
उनकी पहली घड़ी की खासियत थी एक ट्रेवलिंग वाॅच, इसे पोर्टफोलियो वाॅच कहा जाता था। हेंस ने इसमें उच्च गुणवत्ता वाले लैदर का इस्तेमाल किया था। लेकिन यह हाथ में बांधने वाली घड़ी नहीं थी। जबकि हेंस समझ चुके थे कि आने वाला भविष्य हाथ में बांधने का ही है। एक जगह उन्होंने लिखा है कि उनका विचार है कि पाॅकेट वाॅच के बजाय रिस्ट वाॅच एक बेहतर ट्रेड होगा। इसके पीछे सोच थी कि यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के हाथों में पहुंचेंगी।
इसके बाद हेंस ने दुनियाभर की यात्राएं शुरू कीं। 2 जुलाई 1908 को हेंस ने स्विट्जरलैंड में रोलेक्स ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड कराया था। इस बीच 1915 ब्रिटिश सरकार ने लग्जरी उत्पादों पर निर्यात ड्यटी बढ़ाकर 33 प्रतिशत कर दी। इसके दुष्प्रभावों को भांपकर हेंस ने 1919 में एक आॅफिस स्विट्जरलैंड में शुरू किया। 1920 के बाद वे स्विट्जरलैंड में ही बस गए।

शुक्रवार, 1 मई 2015

जिंदगी के हर रास्ते पर आगे रहने के तरीके

डाॅ. करण ठाकुर: जीएम- आॅपरेशंस एंड पब्लिक अफेयर्स, अपालो अस्पताल ।
ज्यादातर लोग एक वक्त पर कई काम करते हैं। इससे जिंदगी की गति तेज़ लगती है, लेकिन दिमाग इन चीज़ों को जल्दी प्रोसेस नहीं कर पाता है। कुछ लोग ऐसे हैं जो काम को निजी जीवन से अलग नहीं कर पाते हैं। इससे दिमाग हमेशा काम में ही उलझा रहता है। इसका एक ही हल है। बिज़ी वर्क लाइफ के प्रेशर और डिमांड को मैनेज करने से सकारात्मक नतीजे मिलेंगे। ऐसा करना आसान नहीं है, लेकिन इन टिप्स को फाॅलो करने से फायदा होगा...
यह सिर्फ एक जाॅब है, जिंदगी नहीं: जाॅब में सबसे अच्छा परफॅार्म करके आगे बढ़ने की सोच अच्छी है, लेकिन जाॅब को जरूरत से ज्यादा अहमियत देना गलत है। ऐसा करने से आगे बढ़ जाएंगे, लेकिन स्वास्थ्य को नुकसान होगा।
रूटीन बनाना जरूरी: सुबह उठते ही स्मार्टफोन उठाकर ईमेल चैक करने की जरूरत नहीं है। घर और काम को अलग करने के लिए एक रूटीन बनाएं। घर पर हो तो ऐसे काम करिए जो इंटरेस्ट के हैं। जैसे अखबार पढ़ना, गार्डनिंग करना या कोई स्पोर्ट खेलना आदि। आॅफिस में भी पूरा दिन ईमेल चैक करने की जरूरत नहीं है। एक वक्त निर्धारित करिए जब आप ईमेल्स चैक करेंगे।
दोस्त बनाइए: आॅफिस में कुछ दोस्त हैं तो अच्छा है। उनके साथ गाॅसिप सेशन बनाए ऐसा काम के दौरान न करें, लेकिन काम पूरा होने के बाद। सेशन में अपनी समस्याओं की चर्चा करिए। इसी तरह से आॅफिस के लोगों के साथ बाहर जाने से भी तनाव कम होगा।
मजबूत वर्किग रिलेशन: बाॅस के साथ अच्छा वर्किंग रिलेशन जरूरी है। कई बार बाॅस के साथ कम्युनिकेशन गैप होने के कारण तनाव बढ़ने लगता है। कई बाॅस अच्छे होते हैं, लेकिन एक बुरे बाॅस के साथ काम करना गलत साबित होगा। जबकि अच्छे बाॅस के साथ कोई बोरिंग जाॅब भी इंटरेस्टिंग लगेगी।

गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

अकेले बनाई कंपनी , अब हैं 80 हजार कर्मचारी

कैडबरी के संस्थापक ने दो सदी पहले बर्मिंघम में शुरू किया था कारोबार।
अकेले बनाई कंपनी , अब हैं 80 हजार कर्मचारी
1854 में जाॅन कैडबरी को क्वीन विक्टोरिया की ओर से पहला राॅयल वाॅरंट मिला, जिसमें उन्हें शाही परिवार के लिए चाॅकलेट बनाने को कहा गया।
फिलहाल कैडबरी कंपनी की कुल संपत्ती 11 बिलियन पाउंड ( करीब 1 हजार अरब रूपए ) है
18वीं सदी के इंग्लैंड में ‘क्वाॅकर्स फैमिली‘ नामक समुदाय थे। ये लोग खुद को ‘दोस्तो का धार्मिक समूह‘ कहते थे। इनकी अपनी मान्यताएं, परंमपराएं और नियम तो थे लेकिन वे किसी चर्च या धार्मिक 
संस्था से नहीं जुडे़ थे। ईश्वर और अपने बीच किसी अन्य की मौजूदगी उन्हें नापसंद थी। यूरोप की  यूनिवर्सिटीज में आमतौर पर इनके बच्चों को प्रवेश नहीं मिलता था और न ही इन्हे सेना में जाने का अवसर मिलता था। ऐसे में मेडिकल, इंजीनियरिंग या सेना का कॅरिअर क्वाॅकर्स युवाओं के लिए दूर की कौड़ी था। जाहिर है बिजनेस ही उनके लिए एकमात्र सुरक्षित रास्ता था। ऐसे ही एक परिवार में 12 अगस्त 1801 को ‘कैडबरी‘ के संस्थापक जाॅन कैडबरी का जन्म हुआ। जाॅन के साथ दिक्कत यह थी कि उनका परिवार शराब, मांस, धूम्रपान आदि व्यसनों का मुखर विरोधी था। खुद जाॅन की भी अपनी परंपरा और मूल्यों के प्रति गहरी आस्था थी। इसलिए उस दौर के अन्य युवाओं की तरह वे किसी भी बिजनेस में हाथ नहीं डाल सकते थे।े
जाॅन अपने स्कूली दिनों में पाॅेंकेट मनी के लिए लीड्स की एक काॅफी शाॅप में काम कर चुके थे। 1824 में उन्होंने अल्कोहल पीने वालों को स्वास्थ्य के लिए हितकर ड्रिंक उपलब्ध कराने की सोच के साथ बर्मिंघम इलाके में दो कमरों में एक काॅफी शाॅप खोली। यहां उन्होंने चाय-काॅफी के साथ छोटा हिस्सा कोको और चाॅकलेट ड्रिंक के लिए रखा। दुकान चल निकली, लेकिन दिलचस्प बात हुई। चाय- काॅफी  से ज्यादा मांग जाॅन की चाॅकलेट ड्रिंक की थी, सो उन्होंने इसी उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया। इसके बाद की कहानी इतिहास में दर्ज है। कैडबरी कंपनी की शुरूआत करने के दो साल बाद 1826 में जाॅन ने अपने से दो साल बड़ी प्रिसिला एना डेमंड से शादी की, लेकिन शादी के दो साल बाद ही एना  की  मौत हो गई। 1832 में जाॅन ने कैन्डिया बारो से शादी की इस दंपती के सात बच्चे हुए।
15 साल के भीतर ही जाॅन कैडबरी अपनी खास तरह की चाॅकलेट और डिंªक्स के कारण पूरे ब्रिटेन में एक लोकप्रिय नाम हो गए। तब तक उनके भाई बैंजामिन भी कंपनी से जुड़ चुके थे और कंपनी को ‘कैडबरी ब्रदर्स‘ के नाम से जाना नाता था। 1831 में जाॅन ने एक चार मंजिला इमारत में फैक्ट्री शुरू की। 1842 तक आते-आते जाॅन की कंपनी कैडबरी 16 तरह के चाॅकलेट डिंªक और कोको बना रही थी। 1847 में जाॅन ने बर्मिंधम के बीचों-बीच नई इमारत में अपनी फैक्ट्री स्थानांतरित कर दी। 50 के दशक में जाॅन और बैंजामिन के बीच खटास आ गई और बैंेजामिन कंपनी से अलग हो गए। इसी दौर में जाॅन के बेटों रिचर्ड और जाॅर्ज ने बितनेस में रूचि लेना शुरू किया। 1861 में स्वसस्थ्य संबंधी दिक्कतों के कारण जाॅन रिटायर हो गए। इस वक्त उनके बेटे रिचर्ड की उम्र 25 साल और जाॅर्ज की उम्र 21 साल थी। इन युवाओं को स्थापित कारोबार मिला था, जिसे नई उंचाई पर पहुंचाया।
रिचर्ड-जाॅर्ज ने पिता के पारंपरिक तरीकों के साथ नई तकनीक का मेल कर कैडबरी को दुनियाभर की चहेती चाॅकलेट बनाया। 11 मई 1889 को जाॅन कैडबरी ने दुनिया को अलविदा कह दिया। दुनिया की पहली मिल्क बार चाॅकलेट 1875 में स्विट्जरलैंड कारोबारी डेनियल पीटर ने बनाई।
इस उत्पाद से कैडबरी बंधुओं को कड़ी टक्कर मिली। 1899 में रिचर्ड की मौत के बाद जाॅर्ज ने भी कारोबार अगली पीढ़ी को सौंपने की तैयारी शुरू कर दी। हालांकि रिटायरमेंट से पहले 1905 में जाॅर्ज ने कैडबरी की मशहूर डेयरी मिल्क चाॅकलेट का अविष्कार किया।

खुद से करिए मोहब्बत

कुछ बातें जो बिगाड़ सकती हैं जीवन
तनाव दूसरों से ही मिले, ऐसा जरूरी नहीं। बहुत बार तनाव का कारण आप खुद भी हो सकते हैं। जानिए ऐसी ही कुछ बातों के बारे में जिनसे बिगड़ सकता है जिंदगी का स्वाद-
1: मैं अच्छा या अच्छी नहीं हूं , यह कहना। जबकि हर वक्त खुद को पसंद करिए। क्योंकि जब आप अपनी गलतियों की भी तारिफ करने लगंेगे तो दूसरे आपको दबाने में विफल रहेंगे।

रविवार, 26 अप्रैल 2015

4C GANDHI FONT CONVERTER



4c Gandhi to unicode font converter

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बहुत से प्रेस वाले कल से 4c से unicode में फॉण्ट कोन्वेर्टर खोल रहे हैं लेकिन खुल नहीं रहा. कृपया ये converter use करें.


http://totalclassified.in/4CGandhi-to-Unicode-to-4CGandhi+converter02.htm




download Google_Technical_Hindi : http://www.ziddu.com/download/16461554/Google_Technical_Hindi.zip.html


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चीज़ों को समझना ज़रूरी है, उनसे डरना नहीं


1: जिंदगी में सफल होने के लिए न तो यह जानने में ज्यादा उत्सुक हों कि दूसरे क्या सोच रहे हैं, न ही चीज़ों में रूचि दिखाएं, लेकिन नए आइडिया या किसी नए विचार की खोज करिए। कुछ नया करने से ही आगे बढ़ने का रास्ता बनेगा। प्रसिद्धि मिलेगी।
2: दुनिया में ऐसी कोई चीज़ नहीं जिससे डरने की जरूरत है। फिलहाल जरूरत सिर्फ चीज़ो को सही तरीके से समझने की है। इससे डर कम होगा।

शनिवार, 25 अप्रैल 2015

खुश रहना है तो भूल जाइए इन बातों को...

खुश रहने का कोई कारण नहीं होता है। खुशी को सिर्फ महसूस किया जा सकता है । लेकिन अगर आप वाकई में खुश रहना चाहते हैं तो खुद को इन बातों से दूर रखिए, लेकिन इन्हें भूलिए मत। इन्हें याद रखने से आपको पता रहेगा कि आपको क्या बिल्कुल नहीं करना है।

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

पूरी तरह खत्म नहीं हुई कोई बीमारी


  •  चेहरे की मसल्स और स्किन पर डिम्पल बनने का कारण किसी को पता नहीं।
  • आज तक ऐसी कोई बीमारी सामने नहीं आई है, जिसे पूरी तरह खत्म कर दिया गया हो। 
  •  अमेरिका में दृष्टिहिनता के ज्यादातर मामले का बड़ा कारण डायबिटीज है।
  • वयस्क आदमी के हृदय का वजन करीब 283 ग्राम होता है।

प्यार में धोखा खाए व्यक्ति के दिमाक की हालत ठीक वैसी होेती है जैसी कोकीन का नशा करने के बाद। इसीलिए दिल टूटने के बाद लोग कुछ वक्त तक अजीब ढंग से बर्ताव करने लगते हैं। एमआरआई रिपोट्र्स के अनुसार।

गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

मुंह में होते हैं दुनिया की आबादी से ज्यादा बैक्टीरिया

1: शाम की तुलना में, सुबह मनुष्य की लंबाई 1 सेंटीमीटर ज्यादा होती है। रात में सोते वक्त रीढ़ की हड्डी के बीच तरल पदार्थ फैल जाता है, जिससे लंबाई बढ़ जाती है। दिन भर चलने फिरने से इस पर दबाव पड़ता है और यह सिकुड़ जाता है
2: एक व्यक्ति अपनी पूरी जिंदगी में सांसों के जरिये करीब 21 किलो धूल खा जाता हैै।
3: दुनिया की कुल जनसंख्या से ज्यादा बैक्टिरिया मुंह में पाए जाते हैं।
4: हमारी आंखें एक करोड़ प्रकार के रंगों को पहचान सकती हैे। साथ ही जो चीज देखती है, उसके बारे में अब तक जो सबसे बेहतर टेलीस्कोप बना है, उससे ज्यादा जानकारी दे सकती हैं।
6: इंसान के शरीर में जैसे ही एक पाउंड चर्बी बढ़ती है तो उसकी खून ले जाने वाली वाहिकाआंे की लंबाई 7 मील बढ़ जाती है।
7: एक दिन में पांच बार तीन-तीन मिनट मेडिटेशन करने से उतना ही फायदा होता है, जितना एक बार में 20 मिनट तक मेडिटेशन करने से होता है।
8: आधा घंटे गार्डनिंग करने से आपका तनाव ज्यादा कम होता है, बजाय इतनी देर  तक बंद कमरे में अकेले बैठकर कोई किताब पढ़ने के।
9: हमारे फेफड़े एक दिन में 30 लाख लीटर हवा खींचते हैे। इतनी हवा एक टेनिस कोर्ट के आधे हिस्से को कवर करने के लिए पर्याप्त है।

बुधवार, 22 अप्रैल 2015

जितना खुश रहेंगे उतना कम होगा जोखिम

दिल की बीमारी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, ऐसे में जानना जरूरी है कि हम दिल को किस तरह तंदुरूस्त बनाए रख सकते हैं, साथ ही हंसने के वे लाभ जो हमें जवां बनाए रखते हैं।

मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

साल में दो हफ्ते का मौन बढ़ा देता है क्रिएटीविटी

साल में दो हफ्ते का मौन बढ़ा देता है क्रिएटीविटी 
डाॅ.दीपक चोपड़ा, आध्यात्मिक गुरू
चेतना न तो मन है न शरीर। यह सामथ्र्य, रचनात्मक आौर अनिश्चितता का क्षेत्र है। ज्यादातर लोगों के पास अपने अस्तित्व के इस हिस्से के बारे में चिंता करने का वक्त नहीं है या वे इसकी परवाह नहीं करते।
अच्छी सेहत के लिए मौन बहुत महत्वपूर्ण है। मैं तो कहूंगा कि जिंदगी के लिए अहम है। यही वजह है कि मैं प्रतिदिन दो घंटे मेडिटेशन करता हूं। सुबह 4 बजे से 6 बजे तक। मेडिटेशन मतलब है, खुद के साथ होना। रोज मेडिटेशन के अलावा मैं साल में दो बार एक-एक हफ्ते के लिए मौन धारण करता हूं। तब मैं निर्जन स्थानों पर चला जाता हूं। यह कोई भी जगह हो सकती है। उटान जैसी कोई पहाड़ी जगह जहां न लोग हों और न कोई टेक्नोलाॅजी। यह मेरी ओर से खुद के लिए ट्रीट हाती है, खुद को दिया तोहफा होता है।

रविवार, 19 अप्रैल 2015

रन: 105 किलो का हो गया था तब शुरू किया दौड़ना।

रन: 105 किलो का हो गया था तब शुरू किया दौड़ना।
अनिल अंबानी (चेयरमैन, रिलायंस ग्रुप )
मैं कई वर्षों से दौड़ रहा हूं। लंबी दूरी की दौड़। ज्यादातर मैं उजाला होने के पहले तड़के दौड़ता हूं, जब ज्यादातर मुंबई नींद के आगोश में होती हैं। 3ः30-4 बजे में खुद-ब-खुद जाग जाता हूं। अलार्म की जरूरत नहीं पड़ती। दौड़ते समय में एक प्रकार के ध्यान में चला जाता हूं। इसी अवस्था में मेरे दिमाग में बिजनेस के बेस्ट आइडिया आए हैं। लंबी दूरी की दौड़ में लोग अकेलेपन की बात करते हैं पर मुझे कभी ऐसा लगा नहीं। कभी-कभी साथ में परिचित या मित्र होते हैं। फिर में उनके हिसाब से रफ्तार एडजस्ट कर लेता हूं ताकि बातचीत में सहूलियत रहे। अकेले में संगीत सुन लेता हूं। मैं हफ्ते में छह दिन दौड़ता पांच दिन तो घर पर ही दो घंटेेे टेªडमिल पर दौड़ता हूं, लेकिन छठा दिन घर के बाहर ही होना चाहिए। में कभी रनर नहीं था। मैंने जब दौड़ना शुरू किया तो पिताजी ने कहा कि तुम जिंदगी में हर लग्जरी खरीद सकते हो, लेकिन सेहत नहीं। वे कितने सही थे। मेरा वजन तब 105 किलो था और अब 68  पर आ गया है। दौड़ने से शरीर में एंडोमाॅर्फिन्स निकलते हैं, जो न्यूरोट्रांसमीटरर्स को सक्रिय करते हैं। सार्टोनिन लेवल बढ़ने से उत्साह कई गुना बढ़ जाता है।

शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

सांस ही गलत लेते हैं तो सब गलत हो जाता है।

सांस ही गलत लेते हैं तो सब गलत हो जाता है।
-बाबा रामदेव: योग गुरू
ब्रीदिंग गुब्बारे की तरह होनी चाहिए। सांस भरे तो पेट फूलना चाहिए और सांस छोडे़ तो पेट पूरी तरह अंदर की ओर चला जाना चाहिए।

गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

समस्या है तो खुद से पूछिए ये सवाल...

ऐसे बदलिए समस्या को देखने का नजरिया
हर व्यक्ति समस्या और परेशानी को अलग नजरिये से देखता है। आप भी दिक्कतों को अपने अनुसार देखते होंगे। यह ज्यातर नकारात्मक ही हाती है। आज कुछ ऐसे े
प्रश्नो के बारे में जानिए जिसके बारे में जानकारी होने से आप समस्याओं को अलग  ही तरिके से देखने लगेंगे। जानिए इन प्रश्नो के बारे में-

मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

विशेषज्ञता के लिए चर्चित हैं ये अस्पताल

दिल, किडनी, आंखों का इलाज: सत्य साई इंस्टीट्यूट अॅाफ हायर साइंसेस, पुट्टीपर्थी, आंध्र प्रदेश। फोन-91-8555-87388 ।
सत्य साई इंस्टीट्यूट आॅफ हायर मेडिकल साइंसेस, ईपीआईपी एरिया, व्हाइटफील्ड,  बेंगलुरू। फोन-91-080-28411500। ईमेल-
वैदैही हाॅस्पिटल, 82, ईपीआईपी एरिया, व्हाइटफील्ड, बेंगलुरू। फोन-91-80-28412956, ईमेल-
यहां कैंसर का सस्ता इलाज: टाटा मेमोरियल हाॅस्पिटल, मुंबईः 70 फीसदी का मुफ्त इलाज, गरीबों को आर्थिक मदद। फोन-91-22-24177000,ईमेल-
आईसीएस कैंसर डिटेक्शन सेंटर, मंुबईः करीब 50 फीसदी तक सस्ता। फोन -91-22-24125238
श्री संतराम संधि स्थान, नडियाद ( गुजरात ) मुफ्त या नाममात्र के खर्च पर कंसल्टेशन। फोन-91-268-2550005,

सोमवार, 13 अप्रैल 2015

इंस्पिरेशन फ्राॅम ग्रेट बिजनेस लीडर्स: सुजुकी मिचियो युध्द के चलते लूम निर्माण और फिर आॅटोमोबाइल सेक्टर में आए।

मंा के लिए  करघा बनाकर की कंपनी की शुरूआत 
सुजुकी मिचियो का नाम जापानी इतिहास के महान व्यक्तित्व सुगावारा मिचिजेन  से प्ररित है। मिचिजेस नौवीं सदी के महान कवि और अध्येता थे, जिन्हे पूर्वी एशिया में “गाॅड अॅाफ लर्निंग“ के रूप में भी जाना जाता है।
जापान की सुजुकी मोटर काॅपेारेशन के संस्थापक सुजुकी मिचियो का जन्म 32 घरो वाले एक छोटे से गांव में 1887 को हुआ था। उनका बचपन काॅटन के खेतों में माता -पिता की मदद करते और करघे की बुनाई की बारीकियां सीखते हुए बीता। इन कामों ने सुजुकी के व्यक्तित्व पर गहरा असर छोड़ा। वे वक्त के साथ खुद को बदलते रहे और ग्राहकों के बीच रिस्ता बुनते रहे।

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

लाइफ-रिजेक्शन मिलने लगे तो याद रखिए इन बातों को

रिजेक्शन मिलने लगे तो यह मत सोचिए कि आपमेें कोई कमी है या काबिलियत कम है। रिजेक्शन जीवन का एक जरूरी सबक है। रिजेक्शन मिलने से यह सबक मिलता है कि जीवन में उन सभी चीजों को रिजेक्ट करना या दरकिनार कर देना क्यों जरूरी होता है। जो आपके लिए सही नहीं होती है। यह जानने के बाद भी अगर रिजेक्शन मिलने से दर्द पहुंच रहा है तो इन बातों का रखिए ध्यान-

गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

लेसन फ्राॅम ग्रेट थिंकर: उदासी का कारण जानने से ही होगा खुशियों का असली अनुभव...

लेसन फ्राॅम ग्रेट थिंकर: उदासी का कारण जानने से ही होगा खुशियों का असली अनुभव...
फ्योदोर दोस्तवोस्की
रूसी भाषा के एक महान साहित्यकार थे। कहानीकार, उपन्यासकार और निबंध लेखक भी थे। इनका जन्म 11 नवंबर 1821 को माॅस्को में हुआ था। उन्हें किसी वक्त मृत्यु दण्ड मिला था, लेकिन अंत समय आते-आते उसे माफ कर दिया गया था।
1: दो काम करने से लोग सबसे ज्यादा घबराते हैं। पहला, नया कदम बढ़ाना। दूसरा नया शब्द बोलना।
2: अगर भगवान ना हो तो कभी, किसी चीज पर पाबंदी न रहे।

बुधवार, 8 अप्रैल 2015

प्रधानाचार्य को जुर्माना माफ कराने के लिए प्रार्थना -पत्र


प्रतिष्ठा मेें,
श्रीयुत प्रधानाचार्य,
राममोहन राय पब्लिक स्कूल
शास्त्री नगर,
दिल्ली।

महोदय,
यों को देखते हुए कृपया जुर्माना माफ कर कृतार्थ करें।
सधन्यवाद, विनम्र निवेदन है कि कल सुबह सड़क पर भीड़ होने की वजह से मैं विद्यालय कुछ देर से पहुँचा था। कक्षा-अध्यापक महोउय ने मुझ पर पचास रूपए जुर्माना कर दिया है। मैं एक गरीब परिवार से हूँ। अतः जुर्माना देने की स्थिति में नहीं हूँ।मेरी परिस्थिति

दिनांक-28.03.15
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
गर्व गुप्ता
कक्षाः4 (स)
अनुक्रमांक-41

मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

टीचिंग: समस्या है तो खुद से पूछिए ये सवाल...

ऐसे बदलिए समस्या को देखने का नजरिया
हर व्यक्ति समस्या और परेशानी को अलग नजरिये से देखता है। आप भी दिक्कतों को अपने अनुसार देखते होंगे। यह ज्यातर नकारात्मक ही हाती है। आज कुछ ऐसे े
प्रश्नो के बारे में जानिए जिसके बारे में जानकारी होने से आप समस्याओं को अलग  ही तरिके से देखने लगेंगे। जानिए इन प्रश्नो के बारे में-

मित्र को जन्म -दिन का निमन्त्रण पत्र

प्रिय आदर्श,
        सप्रेम नमस्ते।
बहुत दिनों से तुम्हारा कोई पत्र नहीं मिला। तुम्हें याद होगा कि मेरा जन्म -दिन17 अगस्त को होता हैं।इस साल मेरे माता-पिता धूमधाम से मेरा जन्म -दिन मना रहे हैं। सायं 7.00 बजे गीत -संगीत का आयोजन किया है तथा उसके बाद रात्रि के भोजन की व्यवस्था है। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मैं तुम्हें आंमत्रित करता हूँ।समय से पहले आने का प्रयास करना।

तुम्हारी मित्र

सोमवार, 6 अप्रैल 2015

टीचिंग-जानिए कैसे आएंगे कामयाब विचार.......


क्रिएटिव सोच से आते हैं बेहतर आइडिया
नया काम शुरू करने से पहले सबसे बड़ी समस्या आइडिया की होती हैं। कामयाब आइडिया के लिए ये तरीके अपना सकते हैं..
आजमाइए, लेकिन असफलता से मत घबराइए: मन में जो भी विचार आते हैं, उन्हें अमलीजामा पहनाने की कोशिश कीजिए। इनके नतीजे अच्छे न निकले तो घबराइए मत क्योंकि इसी से अच्छे आइडिया भी आएंगे।
लोगों से मिलिए, नई बातें जानिए: अपनी रूचि की चीजों के बारे में खूब पढि़ए। कुछ नया सीखने को मिले तो इसके बारे में लोगों से बातें कीजिए। वे क्या सोचते हैं, यह जानने की कोशिश कीजिए।
क्रिएटर बनिए, कंज्यूमर नहीं: सोचते समय नजरिया नए निर्माण का हो। अक्सर कुछ नया देखते ही हम उपभोग के बारे में सोचने लगते हैं, उससे बेहतर बनाने की ओर ध्यान नहीें जाता।

रविवार, 5 अप्रैल 2015

लर्निग

असफलता से डर तो जोेखिम लेना मुश्किल

  1. कामयाबी दूर इसलिए होती है क्योंकि हम खुद ही इसके रास्ते में बाधाएं खड़ी करते हैं। खुद से कुछ सवाल कर आप इससे बच सकते हैं...
  2. मैं इस योग्य नहीं हूं: योग्यताजन्म से नहीं मिलती, उसे विकसित करना होता है। हर समय बदलते माहौल के अनुरूप तैयारी करनी होती है।
  3. दूसरों को दोषी मानते हैं: अपनी हालत के लिए दूसरो को देाष देने की आदत अपनी जिम्मेदारियों से बचने की निशानी है।
  4. नाकामयाबी से बचते हैं: सफलता से ज्यादा असफलता का डर है तो इसका मतलब यह है कि आप जोखिम लेने से डरते हैं। 
  5. शिकायत करते हैं: हालात या लोगों के बारे में शिकायत करने का कोई फायदा नहीं।खुद के बार नजरिये में बदलाव कर ही सफलता मिल सकती है।


शनिवार, 4 अप्रैल 2015

लेसन फ्राॅम ग्रेट थिंकर

लेसन फ्राॅम ग्रेट थिंकर: डाॅकिन्स ने 1976 में मानव व्यवहार को समझने के लिए “मीम“ की परिकल्पना दी
समस्या से ज्यादा खूबसूरत होता है हल
 1: रिर्चड डाॅकिन्स:26 मार्च 1941 को केन्या में जन्मे ब्रिटिश जीवविज्ञानी और लेखक। आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे।
हमंे हर तरह से खुले दिमाग का होना चाहिए, लेकिन दिमाग को इतना भी नहीं खोल लेना चाहिए कि उसमें से बुध्दिी ही बाहर निकलकर गिर जाए।
2: तथ्यों की पड़ताल और उन पर विचार से भागने के लिए आस्था एक शानदार और उच्चस्तरीय बहाना है।
3: लोग साहित्य के अल्पज्ञान और अज्ञान को महिमामंडित नहीं करते हैं, लेकिन विज्ञान और गणित की कमजोरी को गर्व और घमंड की तरह बताया जाता है।

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

ज्यादा काम की आदत तो कॅरिअर में दिक्कत

                   आॅफिस में ज्यादा समय देना, देर रात तक काम करना, हर छोटे लक्ष्य को हासिल करने के लिए जान लगा देना-काॅर्पोरेट सेक्टर में बेहतर कॅरिअर केे लिए ये सारे गुण जरूरी माने जाते हैं। खासकर  कॅरिअर के शुरूआती दौर में। लेकिन आगे चलकर यही बड़ी जिम्मेदारियों से दूर करते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक लीडरशिप पाॅजिशन पर पहुंचने के बाद ये फायदे से ज्यादा नुकसान का कारण बनते हैं।