क्रिएटिव सोच से आते हैं बेहतर आइडिया
नया काम शुरू करने से पहले सबसे बड़ी समस्या आइडिया की होती हैं। कामयाब आइडिया के लिए ये तरीके अपना सकते हैं..
आजमाइए, लेकिन असफलता से मत घबराइए: मन में जो भी विचार आते हैं, उन्हें अमलीजामा पहनाने की कोशिश कीजिए। इनके नतीजे अच्छे न निकले तो घबराइए मत क्योंकि इसी से अच्छे आइडिया भी आएंगे।
लोगों से मिलिए, नई बातें जानिए: अपनी रूचि की चीजों के बारे में खूब पढि़ए। कुछ नया सीखने को मिले तो इसके बारे में लोगों से बातें कीजिए। वे क्या सोचते हैं, यह जानने की कोशिश कीजिए।
क्रिएटर बनिए, कंज्यूमर नहीं: सोचते समय नजरिया नए निर्माण का हो। अक्सर कुछ नया देखते ही हम उपभोग के बारे में सोचने लगते हैं, उससे बेहतर बनाने की ओर ध्यान नहीें जाता।
बड़ा लक्क्ष तय कीजिए: सोच का दायरा बड़ा हो। बिजनेस से बडे़ मार्केट पर ध्यान केंद्रित कीजिए, नौकरी में बड़ा पद या पैकेज पाने की इक्छा रखिए। बड़े लक्ष्य से ही बड़ी उपलब्धि हासिल हो सकती है।
दूसरो की नाकामयाबी पर नजर रखिए: दूसरो के असफल प्रयासों में भी सफल आइडिया छिपे होते हैं। उनके विचार को अपनी जरूरतों से जोड़कर देखिए।
तुलना कीजिए: हर प्रोडक्ट या सर्विस अलग-अलग जगहों पर सफल नहीं हो सकता, लेकिन तुलना कर हर जगह के बारे में बेहतर जान सकते हैं। फिर पहले से मौजूद आइडिया में जरूरी बदलाव कर कुछ नया सोच सकते हैं।
बिलकुल उल्टा सोचिए: जब काई प्रोडक्ट बाजार में लोकप्रिय होता है तो दूसरों से अलग दिखने के प्रयास में लोग उसके विपरीत की ओर जाते हैं। यही आइडिया पर भी लागू होता है। अभी मौजूद आइडिया के उल्टा सोचिए।
प्राॅब्लम साॅल्विंग कीजिए: छोटी-छोटी समस्याओं पर नजर रखिए। उनका हल सोचिए। इसे आदत बनाइए। बड़े और सफल आइडिया इन्हीं से निकलते हैं।
रिलेशनशिप-संबंधों को लंबे समय तक कैसे बनाए रखें:
हर व्यवहार को खुद से जोड़ना यानी रिश्तों में संदेह
अच्छे रिश्ते बने रहेें, इसके लिए कई जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं, लेकिन कुछ बातों से परहेज रखना भी जरूरी है। जानिए इनके बारे में...
.रिस्तों से हर समस्या के सुलझने की उम्मीद मत रखिए।
.संबंधों की बुनियाद इस भरोसे पर टिकी होती है कि आप किसी को नुकसान पहंुचाने का मौका दें, लेकिन इस विश्वास के साथ कि वह ऐसा नहीं करेगा।
दूसरों की कमजोरियों की बजाय उनकी अच्छाइयों पर ध्यान दीजिए। कमजोरियों को बेहतर संबंधों के रास्ते में नहीं आना चाहिए।
.दूसरो के हर व्यवहार को खुद से जोड़कर देखना भी गलत है। इससे संबंधों में
संदेह पैदा होता है।
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