लेसन फ्राॅम ग्रेट थिंकर: डाॅकिन्स ने 1976 में मानव व्यवहार को समझने के लिए “मीम“ की परिकल्पना दी
समस्या से ज्यादा खूबसूरत होता है हल
1: रिर्चड डाॅकिन्स:26 मार्च 1941 को केन्या में जन्मे ब्रिटिश जीवविज्ञानी और लेखक। आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे।
हमंे हर तरह से खुले दिमाग का होना चाहिए, लेकिन दिमाग को इतना भी नहीं खोल लेना चाहिए कि उसमें से बुध्दिी ही बाहर निकलकर गिर जाए।
2: तथ्यों की पड़ताल और उन पर विचार से भागने के लिए आस्था एक शानदार और उच्चस्तरीय बहाना है।
3: लोग साहित्य के अल्पज्ञान और अज्ञान को महिमामंडित नहीं करते हैं, लेकिन विज्ञान और गणित की कमजोरी को गर्व और घमंड की तरह बताया जाता है।
4: मेरी आंखें आज भी जीवन के अस्तित्व को देखकर चैड़ी हो जाती हैंै। सिर्फ मानव नहीं, बल्कि पूरे जीव जगत के अस्तित्व की ताकतवर और सांस रोक देने वाली प्रक्रिया को देखकर, जिसे प्रकृति ने चुना है।
5: निजी तौर पर, मैं एक कंप्यूटर प्रोग्राम को शतरंज की विश्व चैंपियनशिप जीतते हुए देखना चाहता हूं। ताकि मानवता विनम्रता के साथ एक सबक सीख सके।
6: मैं धर्म के खिलाफ हूं, क्योंकि यह हमें दुनिया केा बिना समझे संतुष्ट होना सिखाता है।
7: मैं कभी भी उदास नहीं होता, मैं हमेशा उत्तेजित और अपने काम में मगन रहता हूं।
8: आप जब तक बायोलाॅजी को समझने की शुरूआत नहीं करेंगे, तब तक जीवन के विकास को नहीं समझ सकते। इसके लिए आपको पता करना होगा कि हम ऐसे क्यों हैं, हम कैसे पैदा हुए -और इसी का नाम विकास है
9: क्या यह बेहद दुखद नहीं होगा कि आप बिना यह जाने कब्र में पहुंच जाएं कि आप पैदा क्यों हुए, कोई भी इस विचार के साथ बिस्तर पर सोया नहीं रह सकता।वह दुनिया को जानने के प्रति उत्सुक होगा और इसके खुशी का हिस्सा बन जाएगा।
10: प्राकृतिक चयन अगली पीढि़यों के भविष्य को नजरअदांज नहीं कर सकता।
11: भ्रम वह स्थिति है जब लोग सबूतों के अभाव के बावजूद किसी चीज में विश्वास करते हैं।
12: मुझे लगता है कि लिखे हुए शब्द संभवतः संचार का सर्वश्रेष्ठ तरीका हैं। क्यांेकि आपके पास विचार करने, शब्द चुनने और वाक्य को बिल्कुल सटीक बनाने का वक्त होता है। साक्षात्कार में ऐसा मौका नहीं मिलता।
13: हमें उदारता और परोपकार सीखने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि मूलतः हम स्वार्थी होते हैं।
14: मुझे इस विचार से केाई दिक्कत नही है कि हम स्वतंत्रता के लिए जीव विज्ञान के नियमों को भी तोड़ दें।
15: अगर कोई बात सच हेै, तो कितनी भी अच्छी सोच की कीमत पर वह नही बदलेगी।
16: धर्मनिरपेक्षता स्पष्ट रूप से यह नहीं कहती है कि धर्म के बारे में सार्वजनिक रूप से, या सार्वजनिक पर कुछ नहीं कहा जाना चाहिए। यह बस इतना कहती है कि अकेले धर्म को ही सार्वजनिक जीवन पर सार्वजनिक रूप से बोलने का एकाधिकार नहीं होना चाहिए। यह सचमुच इतना ही आसान है।
17: आनुवांशिकी को डिजिटल करने का आइडिया मुझे मंत्रमुग्ध कर देता है। एक जीन लंबे क्रम की जानकारी की तरह।आधुनिक बाॅयलाॅजी बहुत हद तक सूचना तकनीक की शाखा बन जाएगी।
18: समस्या कितनी भी मुश्किल जटिल, उलझी हुई क्यों न हो, समाधान उससे अधिक खूबसूरत हेाता है।
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