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सोमवार, 13 अप्रैल 2015

इंस्पिरेशन फ्राॅम ग्रेट बिजनेस लीडर्स: सुजुकी मिचियो युध्द के चलते लूम निर्माण और फिर आॅटोमोबाइल सेक्टर में आए।

मंा के लिए  करघा बनाकर की कंपनी की शुरूआत 
सुजुकी मिचियो का नाम जापानी इतिहास के महान व्यक्तित्व सुगावारा मिचिजेन  से प्ररित है। मिचिजेस नौवीं सदी के महान कवि और अध्येता थे, जिन्हे पूर्वी एशिया में “गाॅड अॅाफ लर्निंग“ के रूप में भी जाना जाता है।
जापान की सुजुकी मोटर काॅपेारेशन के संस्थापक सुजुकी मिचियो का जन्म 32 घरो वाले एक छोटे से गांव में 1887 को हुआ था। उनका बचपन काॅटन के खेतों में माता -पिता की मदद करते और करघे की बुनाई की बारीकियां सीखते हुए बीता। इन कामों ने सुजुकी के व्यक्तित्व पर गहरा असर छोड़ा। वे वक्त के साथ खुद को बदलते रहे और ग्राहकों के बीच रिस्ता बुनते रहे।


बचपन में सुजुकी एक काॅन्टेक्टर बनने का सपना देखते थे। शुरूआत में उन्होंने काॅन्टैªक्टर का काम किया भी, लेकिन 1904-05 के जापान -रूस युध्द के कारण कंस्ट्रक्शन का काम ठप पड़ गया। ऐसे में सुजुकी ने अपनी बुनाई कला की तरफ ध्यान दिया। उस वक्त हमामात्सु में इलेक्ट्रिक पावर कंपनी में करघों (लूम्स) की जरूरत थी। 21 साल की उम्र में सुजुकी लूम निर्माण के क्षेत्र में उतरे। इससे पहले सुजुकी ने ऐसा करघा बनाया था जिससे उनकी मां दस गुना तेजी से बुनाई कर सकती थीं। यह लकड़ी और लोहे के मिश्रण से बना था। इस घरेलू उत्पादन ने सुजुकी को लोकप्रियता दिला दी। आसपास के करघा बुनकरों से उन्हें कई आॅर्डर  मिले। जब काम बढ़ा और सफलता मिली, तो अक्टूबर 1909 में उन्होंने सुजुकी लूम मैन्यूफैक्चरिंग की स्थापना की। इसी कंपनी को आज सुजुकी मोटर कार्पोरेशन के नाम से जानते हैं, जो 1950 के दशक में आॅटोमोबाइल क्षेत्र में उतरी।

सुजुकी ने जापान के बुनकर इतिहास को नया मोड़ दिया। बुनकरेंा से बातचीत के दौरान सुजुकी ने जाना कि वे ऐसा करघा चाहते हैं जिससे स्ट्रिप पैटर्न पर बुनाई  की जा सके। 1911 में सुजुकी ने दो शटल वाला करघा बनाया। इसके बाद उन्होंने तीन और चार शटल वाले करघा भी बनाए। 1920 तक उनकी कंपनी का टर्नओवर 
पांच लाख जापानी येन हो गया था। 1920 तक सुजुकी अपने उत्पाद पूरे दक्षिण एशिया में निर्यात करने लगे आज कंपनी के उत्पाद 200 देशों में प्रसिध्द हैं और 21 देशों में कारखाने हैं। उत्पादोें की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सुजुकी लगातार ग्राहकोें के लिए सुजुकी लगातार ग्राहकों के बीच जाते थे। वे कहते थे, “अपने ग्राहकों के नजरिये से सोचो। उन्हें वही दो जो वे चाहते हैं।ं 

जिस तरह से युध्द के कारण सुजुकी एक काॅन्टेªक्टर से करघा निर्माता बने, उसी तरह लूम निर्माण से मोटरसाइकिल और कार निर्माण की ओर आने के लिए भी एक युध्द ही जिम्मेदार हैै।   डब्लू 1937 में सुजुकी छोटी कारों के कुछ प्रोटोटाइप बना चुके थे, लेकिन व्दितीय विश्व युध्द के दौरान जापान में नागरिक उपयोग की कारों को गैरजरूरी उत्पाद घोषित कर दिया गया था। इसलिए वे इस काम से दूर रहे। इस दौरान सुजुकी सेना के लिए गोला-बारूद मुहैया कराने का काम कर रहे थे।1950 के दशक से सुजुकी ने आॅटोमोबाइल क्षेत्र में उतरते हुए ताकात्सुका प्लांट की शुरूआत की। इसके लिए उन्हें कंपनी में विरोध का सामना भी करना पड़ा। तब सुजुकी ने अपने कामगारों से कहा, ’मुझे यह न करने के पीछे कोई कारण नहीं दिखाई देता। यह चुनौती स्वीकार करने का वक्त है, खासकर तब जबकि बहुत कम पैसा इस काम में लगेगा।’यहीं से सुजुकी की बाइक्स और कारों का सिलसिला शुरू हुआ। जो अब तक जारी है। शुरूआत में कंपनी सैन्य जरूरतो के लिहाज से उत्पाद बनाती थी। 1952 में कंपनी ने पहली बार 36सीसी पिस्टन का स्ट्रोक ’साइलोमोटर’ इंजिन बाजार में उतारा। 1963 में सुजुकी मोटरबाइक अमेरिका निर्यात होने लगी। 1985 में कंपनी की कारें भी अमेरिका पहुंच गई थीं। लूम इंडस्ट्री और आॅटोमोबाइल क्षेत्र में गहरी छाप छोड़ने वाले सुजुकी का 1982 में निधन हो गया। 

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