टाटा गु्रप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने यह स्पीच सिम्बायोसिस, पुणे में कुछ वक्त पहले दी थी। वाॅट्सएप पर इन दिनों इसे काफी शेयर किया जा रहा है।
न सिर्फ अकैडमिक गोल्स और न ही अपना ध्यान सिर्फ कॅरियर बनाने में लगाइए। खुद के लिए कुछ लक्ष्य ऐसे बनाइए जिनसे बैलेंस्ड और सफल जीवन मिले। बैलेंस्ड से अर्थ है अच्छा स्वास्थ्य, मजबूत रिश्ते और किसी तरह का कोई मानसिक तनाव ना हो। आपका मूड जिस दिन सबसे ज्यादा खनाब है,
उसी दिन प्रमोशन के बारे में पता चलने से कोई फायदा नहीं होगा। ठीक उसी तरह जैसे पीठ दर्द हो और नई कार चलाने को कहा जाए। टेंशन में शाॅपिंग करने का भी उतना मजा नहीं आता हैै। जिंदगी को ज्यादा सीरियस लेने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हम सब यहां कुछ वक्त के लिए हैं।
इसे ऐसे समझिए। हम लिमिटेड वेलिडिटी वाले एक प्रीपेड कार्ड की तरह हैं। अगर किस्मत अच्छी होगी तो 50 वर्ष बिना रूके चलते जाएंगे। और 50 वर्ष का मतलब सिर्फ 2,500 वीकेंड। क्या अब भी आपको ज्यादा काम करने की जरूरत है ? सब ठीक है। स्कूल-काॅलेज में कुछ क्लासेस बंक करना , कुछ एग्जा़म में कम अंक आना और काम में कुछ दिन का ब्रेक लेना। प्यार करना। पत्नी के साथ लड़ना। सब कुछ बिल्कुल ठीक है। हम इंसान है कोई प्रोग्राम्ड डिवाइस नहीं । जिंदगी को ज्यादा गंभीरता से नहीं लो, जो जैैसा चल रहा है उसका उतना ही मजा उठाओ।
इसे अपनी जिंदगी के सभी अच्छे लोगों के साथ बांटिए।
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