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शनिवार, 2 मई 2015

नौकरी में निखारा हुनर, उधार लेकर शुरू की अपनी कंपनी


1926 में हेंस ने पहली वाॅटरप्रूव रिस्ट वाॅच ‘ओयेस्टर ‘ बनाई। इसके बाद 1945 में ऐसी हाथ घड़ी बनाई जिसकी तारीख ख्ुाद-व -खुद बदल जाती थी। दो टाइम जोन को बताने वाली पहली रिस्ट वाॅच का श्रेय भी हेंस को जाता है।
आज रोलेक्स दुनिया का सबसे बड़ा लग्जरी वाॅच ब्रैंड है। यह हर साल 6 लाख 50 हजार से 8लाख तक घडि़या बनाती है। इसका सालाना रेवेन्य 3 बिलियन डाॅलर ( करीब 186 अरब रूपए ) है। 
जेम्स बाॅण्ड सीरीज की शुरूआत फिल्मों में इस मशहूर किरदार ने रोलेक्स की घड़ी  पहनी है। शीन काॅनेरी से शुरू हुआ यह सिलसिला पीयर्स ब्रासनन तक चला। 
हेंस विल्सडोर्फ: जन्म: 22 मार्च 1881, जर्मनी ,संस्थापक : रोलेक्स 
हेंस के बचपन में ही उनकी मां की मौत हो गई थी। मां की मौत का सदमा पिता बर्दाश्त नहीं कर सके नतीजतन वे भी चल बसे। यह 1893 की बात है। उस वक्त हेंस की उम्र 12 साल थी। हेंस के अंकल ने उसके पिता के बिजनेस को बेचकर उनका कर्ज चुकाया। बचे हुए पैसो से बच्चों की बेहतर शिक्षा का बंदोबस्त किया। तीन भाई-बहनों में हेंस अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे। बचपन में विल्सडोर्फ की रूचि गणित और भाषा में थी इससे उन्हें विभिन्न देशों की यात्रा करने और वहां काम करने में मदद मिली।
शुरू में उन्होंने दुनियाभर में मोतियों का निर्यात करने वाली एक फर्म में काम किया, जहां वैश्विक कारोबार के गुर सीखे। हेंस ने इस शुरूआती अनुभव का असर अपने पूरे जीवन पर कुबूल किया है। 1931 के एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि अगर मैंने अपनी शुरूआत निर्यात की बारीकियों को सीखने से न की होती, तो आज मैं वो नहीं होता, जो हूं।
20वीं सदी की शुरूआत के साथ ही हेंस के भीतर बैठे घड़ी के कारोबारी की यात्रा शुरू होती है। मोतियों की फर्म का काम छोड़कर महज 19 साल की उम्र में वे स्विट्जरलैंड चले गए। वहां सन् 1900 में हेंस ने उस वक्त की सबसे बड़ी घड़ी निर्यातक कंपनी कुनो कोर्टन में काम शुरू किया। यहां उन्हें दुनिया के विभिन्न हिस्सों के साझेदारों के साथ अंग्रेजी में पत्र व्यवहार करने का काम मिला। 80 फ्रेंक प्रति माह की सेलरी पर। इस वक्त जिनेवा के साथ ला चाउक्स दे फोन्ड्स घड़ी निर्माता कंपनियों का हब था। यहां हेंस की मुलाकात इस इंडस्ट्री के कई दिग्गजों से हुई।ं इन मुलाकातों में मिलीं सिखों से उन्हें रोलेक्स कंपनी की स्थापना में बड़ी मदद मिली।
1903 में हेंस ने स्विट्जरलैंड छोड़ दिया और लंदन आ गए। इस वक्त उनके दिमाग में यह साफ था कि क्या करना है। वे घड़ी निर्माता बनना चाहते थे। लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। अपने सपने को कुछ दिनों के लिए मुल्तवी कर उन्होंने लंदन में भी एक घड़ी कंपनी में काम किया। अपने चार-पांच साल के अनुभव से हेंस ने एक बात समझ ली थी कि सभी कंपनीयां घड़ी निर्मान के पुराने और स्थापित मानदंडों पर ही चल रही हैंै। कोई भी नई डिजाइन और जरूरतों के हिसाब से बदलाव नहीं कर रहा है। हेंस ने इसे अपनी ताकत बनाया। 
वे जल्द से जल्द अपना काम शुरू करना चाहते थे। जमा पूंजी उनके पास नहीं थी और बाजार से उन्हें कोई रकम नहीं मिल सकती थी। तब उन्होंने अपनी बहन से उधार लिया और जीजा अल्फ्रेड डेविस को पार्टनर बनाया। 24 साल की उम्र में 1905 में उन्होंने विल्सडोर्फ एंड डेविस नाम से लंदन में घड़ी निर्माण कंपनी शुरू की।
उनकी पहली घड़ी की खासियत थी एक ट्रेवलिंग वाॅच, इसे पोर्टफोलियो वाॅच कहा जाता था। हेंस ने इसमें उच्च गुणवत्ता वाले लैदर का इस्तेमाल किया था। लेकिन यह हाथ में बांधने वाली घड़ी नहीं थी। जबकि हेंस समझ चुके थे कि आने वाला भविष्य हाथ में बांधने का ही है। एक जगह उन्होंने लिखा है कि उनका विचार है कि पाॅकेट वाॅच के बजाय रिस्ट वाॅच एक बेहतर ट्रेड होगा। इसके पीछे सोच थी कि यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के हाथों में पहुंचेंगी।
इसके बाद हेंस ने दुनियाभर की यात्राएं शुरू कीं। 2 जुलाई 1908 को हेंस ने स्विट्जरलैंड में रोलेक्स ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड कराया था। इस बीच 1915 ब्रिटिश सरकार ने लग्जरी उत्पादों पर निर्यात ड्यटी बढ़ाकर 33 प्रतिशत कर दी। इसके दुष्प्रभावों को भांपकर हेंस ने 1919 में एक आॅफिस स्विट्जरलैंड में शुरू किया। 1920 के बाद वे स्विट्जरलैंड में ही बस गए।

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