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रविवार, 31 मई 2015

अरूण पुदूर, 13 की उम्र में गैराज चलाते थे, 34 में एशिया के सबसे धनी युवा बने


वेल्थ एक्स की लिस्ट, टॅाप 10 में चीन के छह, जापान के तीन, भारतीय टॅाप पर
अरूण पुदूर, 13 की उम्र में गैराज चलाते थे, 34 में एशिया के सबसे धनी युवा बने
जिंदगी में एक ही चैप्टर पढ़ते रहोगे तो अगले चैप्टर तक नहीं पहुंच पाओगे
- लिस्ट में नाम आते ही ट्वीट...
सबसे पहले अरूण का नाम इसी मार्च मंे फेसबुक के मार्क जकरबर्ग के साथ आया था। 40 से कम उम्र  में अरबपति बनने वाले उद्योगपतियों की लिस्ट में। तब अरूण ने एक मैगजीन को अपनी कहानी बताई थी। पढ़ीये...

शनिवार, 30 मई 2015

जीवन का स्वभाव है - मरण

अमृत साधना: ओशो मेडिटेशन रिजाॅर्ट, पुणे।
गौतम बुद्ध के संबध में यह ख्याल है कि उनके धर्म में स्त्रियों का स्थान नहीं है। चूंकि उनका धर्म कठोर तपस्या पर आधारित है, सिर्फ भिक्षुओं को ही उसमें दीक्षा दी गई। मोटे तौर पर यह सच भी हो  लेकिन आश्चर्य की बात है, आम्रपाली जो कि एक वेश्या थी उसने बुद्ध से दीक्षा ली। उसे भिक्षुणी संध की मुखिया बनाया गया था। 
ओशो एक और स्त्री की कहानी बताते हैं। उसका नाम था किसा गौतमी। उसे बुद्ध ने जिस प्रकाश ज्ञान दिया वह घटना भी हृदयस्पर्शी है। किसा गौतमी का बेटा अचानक मर गया। एक ही बेटा था, पति पहले ही मर चुका था। किसा गौतमी जैसी हो गई। गांव भर में अपने बेटे की लाश को लेकर घूमती थी कि कोई मेरे बेटे को जिंदा कर दो। फिर किसी ने सलाह दी कि गौतम बुद्ध का गांव में आगमन हुआ है, तू उन्हीं के पास जा। शायद उनके आशीष से कुछ हो जाए। किसा गौतमी ने बुद्धं के चरणों में ले जाकर अपने बेटे की लाश रख दी और कहाः मेरे बेटे को जिंदा कर दीजिए। आपके आशीर्वाद से क्या न हो सकेगा ? बुद्ध ने कहाः जरूर कर दूंगा, लेकिन पहले तुम्हे एक शर्त पूरी करनी पड़ेगी। शर्त यह है कि तू गांव जा और किसी के घर से  मुट्ठी भर सरसों के दाने मांग ला। मगर घर ऐसा हो जिसमें मौत कभी न हुई हो।

शुक्रवार, 29 मई 2015

मुश्किलों से ऐसे निकलिए बाहर

बातें जिनसे दिमाग को मिलेगा सुकुन
जीवन में उतार-चढ़व लगे रहते हैं। जरूरत है तो बस खुद को बैलेंस्ड रखने की। कई बार दिमाग में चल रही हलचल में खुद को बैलेंस्ड रखना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में दिमाग को शांत रखने के लिए कुद बातें फायदेमंद रहेगी। जानिए इनके बारें में -
1: हर चीज दो बार बनती है। एक बार दिमाग और दूसरी बार हकीकत में। इसलिए अपनी सोच को काबू में रखिए, क्योंकि आपकी सोच ही असलियत का रूप लेगी।
2: आज आपके साथ जो कुछ हो रहो है उसमें ऐसा कुछ नहीं है जो आपको आगे बढ़ने से रोकेगा। एक वक्त में एक ही कदम बढ़ाए।

रविवार, 17 मई 2015

डाइट, हाॅर्मोन, स्टैªस हैं कारण

डाॅ. आरके जोशी: सीनियर कंसल्टेंट डर्माटोलाॅजिस्ट, अपोलो हाॅस्पिटल, नई दिल्ली।
50 वर्ष की उम्र में भी हो सकते हैं मुंहासे
कुछ लोगों को 30, 40, और 50 साल की उम्र में भी एक्ेन ( मंुहासे )ेेे की समस्या होती है। यह भी हो सकता है कि आपको पहली बार इसी उम्र में एक्ने हो। इसके कई कारण हैं। जैसे-तनाव, हाॅर्मोन और डाइट। आॅइल, मिट्टी और डेड सेल्स के मिलने ये पोर खुल जाते हैं। तनाव का एक्ने से सीधा रिश्ता है। तनाव के कारण शरीर में एंड्रोजेन हाॅर्मोन बनने लगता है। यह हाॅर्मोन त्वचा में आॅइल ग्लैंड बढ़ाते हैं, जिनसे एक्ने की समस्या होती है। फैमिली हिस्ट्री का भी असर पड़ता है। बालों और त्वचा पर इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स में कुछ कैमिकल ऐसे डाले जाते हैं जिनसे एक्ने की समस्या होती है। कुछ दवाओं का साइड इफेक्ट एक्ने ही है। कई बार एक्ने किसी बीमारी का लक्षण भी हो सकते हैं।

शनिवार, 16 मई 2015

वर्जिल को मेडिसिन और एस्ट्रोनाॅमी की भी अच्छी जानकारी थी

वर्जिल रोम के प्राचिन कवि थे। इनका जन्म 15 अक्टूबर 70 ईसा-पूर्व में हुआ और 21 सितंबर 19 ईसा-पूर्व को निधन हो गया था। इनका पूरा नाम पुब्लियस वेरगिलियस मारो था।
1: जो लोग मुश्किलोें का सामना करना जानते हैं, अच्छी किस्मत उन्हीं के साथ होती है।
2: प्यार के बदले प्यार मिलता है। प्यार किसी तरह के नियम- कानून को नहीें समझता है, और ऐसा ही सभी के साथ है।
3: ऐसे व्यक्ति से आपकी मुलाकात कभी-भी नहीं होगी, जो पूछेगा कि जंग ताकत से जीती या स्ट्रेटजी बनाकर।
4: उसी व्यक्ति का यकीन करिए जो वैसी ही मुश्किल से गुज़र चुका हो।
5: गुजरता वक्त कभी वापस नहीं आता हैं।
6: वहीं लोग सफल होते हैं जो जानते हैं कि वे सफल ही होंगें।
7: सबसे अच्छा वक्त, सबसे जल्दी गुजर जाता है।
8: जो कुछ भी हो, लेकिन बुरे वक्त को धैर्य और समझदारी से ही जीत सकते हैं।
9: डर लगने का अर्थ है कि दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है।

शुक्रवार, 15 मई 2015

हर पल का उठाइए भरपूर मजा़

हम लिमिटेड वेलिडिटी वाले प्रीपेड कार्ड की तरह हैं
टाटा गु्रप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने यह स्पीच सिम्बायोसिस, पुणे में कुछ वक्त पहले दी थी। वाॅट्सएप पर इन दिनों इसे काफी शेयर किया जा रहा है।
न सिर्फ अकैडमिक गोल्स और न ही अपना ध्यान सिर्फ कॅरियर बनाने में लगाइए। खुद के लिए कुछ लक्ष्य ऐसे बनाइए जिनसे बैलेंस्ड और सफल जीवन मिले। बैलेंस्ड से अर्थ है अच्छा स्वास्थ्य, मजबूत रिश्ते और किसी तरह का कोई मानसिक तनाव ना हो। आपका मूड जिस दिन सबसे ज्यादा खनाब है,

गुरुवार, 14 मई 2015

लोग चाहे जो सोचें इन बातों के साथ जुड़े रहिए

उन चीजोें को जीवन से बाहर करिए जो आपकी नहीं हैं या जिनसे आपका कोई फायदा नहीं है। ऐसा करने का मन नहीं भी कर रहा है तो भी करिए।

कैडबरी के संस्थापक ने दो सदी पहले बर्मिंघम में शुरू किया था कारोबार।

अकेले बनाई कंपनी , अब हैं 80 हजार कर्मचारी
1854 में जाॅन कैडबरी को क्वीन विक्टोरिया की ओर से पहला राॅयल वाॅरंट मिला, जिसमें उन्हें शाही परिवार के लिए चाॅकलेट बनाने को कहा गया।
फिलहाल कैडबरी कंपनी की कुल संपत्ती 11 बिलियन पाउंड ( करीब 1 हजार अरब रूपए ) है
18वीं सदी के इंग्लैंड में ‘क्वाॅकर्स फैमिली‘ नामक समुदाय थे। ये लोग खुद को ‘दोस्तो का धार्मिक समूह‘ कहते थे। इनकी अपनी मान्यताएं, परंमपराएं और नियम तो थे लेकिन वे किसी चर्च या धार्मिक 
संस्था से नहीं जुडे़ थे। ईश्वर और अपने बीच किसी अन्य की मौजूदगी उन्हें नापसंद थी। यूरोप की  यूनिवर्सिटीज में आमतौर पर इनके बच्चों को प्रवेश नहीं मिलता था और न ही इन्हे सेना में जाने का अवसर मिलता था। ऐसे में मेडिकल, इंजीनियरिंग या सेना का कॅरिअर क्वाॅकर्स युवाओं के लिए दूर की कौड़ी था। जाहिर है बिजनेस ही उनके लिए एकमात्र सुरक्षित रास्ता था। ऐसे ही एक परिवार में 12 अगस्त 1801 को ‘कैडबरी‘ के संस्थापक जाॅन कैडबरी का जन्म हुआ। जाॅन के साथ दिक्कत यह थी कि उनका परिवार शराब, मांस, धूम्रपान आदि व्यसनों का मुखर विरोधी था। खुद जाॅन की भी अपनी परंपरा और मूल्यों के प्रति गहरी आस्था थी। इसलिए उस दौर के अन्य युवाओं की तरह वे किसी भी बिजनेस में हाथ नहीं डाल सकते थे।े
जाॅन अपने स्कूली दिनों में पाॅेंकेट मनी के लिए लीड्स की एक काॅफी शाॅप में काम कर चुके थे। 1824 में उन्होंने अल्कोहल पीने वालों को स्वास्थ्य के लिए हितकर ड्रिंक उपलब्ध कराने की सोच के साथ बर्मिंघम इलाके में दो कमरों में एक काॅफी शाॅप खोली। यहां उन्होंने चाय-काॅफी के साथ छोटा हिस्सा कोको और चाॅकलेट ड्रिंक के लिए रखा। दुकान चल निकली, लेकिन दिलचस्प बात हुई। चाय- काॅफी  से ज्यादा मांग जाॅन की चाॅकलेट ड्रिंक की थी, सो उन्होंने इसी उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया। इसके बाद की कहानी इतिहास में दर्ज है। कैडबरी कंपनी की शुरूआत करने के दो साल बाद 1826 में जाॅन ने अपने से दो साल बड़ी प्रिसिला एना डेमंड से शादी की, लेकिन शादी के दो साल बाद ही एना  की  मौत हो गई। 1832 में जाॅन ने कैन्डिया बारो से शादी की इस दंपती के सात बच्चे हुए।
15 साल के भीतर ही जाॅन कैडबरी अपनी खास तरह की चाॅकलेट और डिंªक्स के कारण पूरे ब्रिटेन में एक लोकप्रिय नाम हो गए। तब तक उनके भाई बैंजामिन भी कंपनी से जुड़ चुके थे और कंपनी को ‘कैडबरी ब्रदर्स‘ के नाम से जाना नाता था। 1831 में जाॅन ने एक चार मंजिला इमारत में फैक्ट्री शुरू की। 1842 तक आते-आते जाॅन की कंपनी कैडबरी 16 तरह के चाॅकलेट डिंªक और कोको बना रही थी। 1847 में जाॅन ने बर्मिंधम के बीचों-बीच नई इमारत में अपनी फैक्ट्री स्थानांतरित कर दी। 50 के दशक में जाॅन और बैंजामिन के बीच खटास आ गई और बैंेजामिन कंपनी से अलग हो गए। इसी दौर में जाॅन के बेटों रिचर्ड और जाॅर्ज ने बितनेस में रूचि लेना शुरू किया। 1861 में स्वसस्थ्य संबंधी दिक्कतों के कारण जाॅन रिटायर हो गए। इस वक्त उनके बेटे रिचर्ड की उम्र 25 साल और जाॅर्ज की उम्र 21 साल थी। इन युवाओं को स्थापित कारोबार मिला था, जिसे नई उंचाई पर पहुंचाया।
रिचर्ड-जाॅर्ज ने पिता के पारंपरिक तरीकों के साथ नई तकनीक का मेल कर कैडबरी को दुनियाभर की चहेती चाॅकलेट बनाया। 11 मई 1889 को जाॅन कैडबरी ने दुनिया को अलविदा कह दिया। दुनिया की पहली मिल्क बार चाॅकलेट 1875 में स्विट्जरलैंड कारोबारी डेनियल पीटर ने बनाई।
इस उत्पाद से कैडबरी बंधुओं को कड़ी टक्कर मिली। 1899 में रिचर्ड की मौत के बाद जाॅर्ज ने भी कारोबार अगली पीढ़ी को सौंपने की तैयारी शुरू कर दी। हालांकि रिटायरमेंट से पहले 1905 में जाॅर्ज ने कैडबरी की मशहूर डेयरी मिल्क चाॅकलेट का अविष्कार किया।

समझदार इंसान खुद को भी देता है आदेश

यूरीपिडीस: इनका जन्म 480 ईसा पूर्व और निधन 406 ईसा पूर्व में हुआ था। यह प्राचीन ग्रीस के नाटककार थे। अरस्तू ने उन्हें ग्रीस का मोस्ट ट्रैजिक नाटककार कहा था। उन्हें अपने समय का सबसे विद्वान कवि कहा जाता है। वो बेहतरीन खिलाड़ी और का पेंटर भी थे। उन्होंने ट्रेजिडी नाटकों को आम लोगों की पसंद बना दिया।
1: सच्चे ज्ञान का सर्वोंत्तम जबाव खामोशी है।
2: जितने अधिक प्रयास होंगे, उतनी ही अधिक समृद्धि आएगी।
3: ईश्वर जिन्हें नष्ट करना चाहता है, पहले उन्हें क्रोधी बना देता है।
4: समय सब कुछ समझा देता है। वह बात करता है और बोलने के पहले उसे किसी सवाल की जरूरत नहीं होती।
5: निर्णय लेने की स्थिति में दोनों पक्षों को सुने बिना किसी फैसले पर ना पहुंचे।
6: धन-दौलत कुछ ही समय हमारे साथ रहती है। सिर्फ हमारा व्यक्तित्व हमेशा साथ रहता है, सोना नहीं।
7: अच्छाई में सभी तरह का ज्ञान मौजूद रहता है।
8: कोई भी आजाद नहीं है। लोग दौलत, किस्मत, कानून की कैद में है या अन्य लोग उन्हें इच्छा से काम करने से रोक रहे हैं।
9: जब किसी व्यक्ति का पेट भरा हो तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह अमीर है या गरीब।
10: किसी पेड़ का आकलन उस पर लगे फलों से करो, पत्तों से नहीं।
11: पहले यहे जान लो कि तुम कौन हो, फिर उस हिसाब से खुद को संवारो, विकसित करो।
12: घटनाएं अपने समय पर होती हैं। उस पर नाराज या दुखी नहीं होना चाहिए। जो आदमी समझदारी से उसमें से अच्छी बातें सीख ले वह हमेशा खुश रहता है।
13: बुद्धिमान सेनापति के दस सैनिक, दुश्मन के सौ मूर्ख सैनिको पर भारी पड़ते हैं।
14: खतरा बहादुर आदमी की आंखांे में सूर्य की किरणों की तरह चमक पैदा कर देता है।
15: हताश व्यक्ति को शब्दों के माध्यम से सांत्वना देना मदद नहीं करने के समान है। सच्चा दोस्त वह है जो संकट के समय जरूरतों को पूरा करे।
17: समृद्धि के साथ कई दोस्त भी आते हैं।
18: जो आदमी जवानी में सीखना नहीं चाहता वह अपने अतीत को खो देता है और उसके भविष्य की मौत हो जाती है।
19: भगवान उसका साथ देते हैं, जो कड़ी मेहनत करते हैं।
20:  अपने जीवन में संतुलन बनाए रखने का सबसे अच्छा और सुरक्षित तरीका है, आसपास और खुद में मौजुद ज्ञान। अगर आप इसे देख पाते हैं तो आप एक समझदार आदमी है।
21: बेशर्मी औऱ अक्खड़ता सबसे बड़ी और खराब बीमारी है।
22: साहसी व्यक्ति बिना बुद्धिमानी के असहाय है। जो आदमी अपने विचारों को आजादी से प्रकट नहीं कर सकता वह गुलाम है।
23: सबसे समझदार आदमी अपने ही आदेश का पालन करता है।

समझदार इंसान खुद को भी देता है आदेश
यूरीपिडीस: इनका जन्म 480 ईसा पूर्व और निधन 406 ईसा पूर्व में हुआ था। यह प्राचीन ग्रीस के नाटककार थे। अरस्तू ने उन्हें ग्रीस का मोस्ट ट्रैजिक नाटककार कहा था। उन्हें अपने समय का सबसे विद्वान कवि कहा जाता है। वो बेहतरीन खिलाड़ी और का पेंटर भी थे। उन्होंने ट्रेजिडी नाटकों को आम लोगों की पसंद बना दिया।
1: सच्चे ज्ञान का सर्वोंत्तम जबाव खामोशी है।
2: जितने अधिक प्रयास होंगे, उतनी ही अधिक समृद्धि आएगी।
3: ईश्वर जिन्हें नष्ट करना चाहता है, पहले उन्हें क्रोधी बना देता है।
4: समय सब कुछ समझा देता है। वह बात करता है और बोलने के पहले उसे किसी सवाल की जरूरत नहीं होती।
5: निर्णय लेने की स्थिति में दोनों पक्षों को सुने बिना किसी फैसले पर ना पहुंचे।
6: धन-दौलत कुछ ही समय हमारे साथ रहती है। सिर्फ हमारा व्यक्तित्व हमेशा साथ रहता है, सोना नहीं।
7: अच्छाई में सभी तरह का ज्ञान मौजूद रहता है।
8: कोई भी आजाद नहीं है। लोग दौलत, किस्मत, कानून की कैद में है या अन्य लोग उन्हें इच्छा से काम करने से रोक रहे हैं।
9: जब किसी व्यक्ति का पेट भरा हो तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह अमीर है या गरीब।
10: किसी पेड़ का आकलन उस पर लगे फलों से करो, पत्तों से नहीं।
11: पहले यहे जान लो कि तुम कौन हो, फिर उस हिसाब से खुद को संवारो, विकसित करो।
12: घटनाएं अपने समय पर होती हैं। उस पर नाराज या दुखी नहीं होना चाहिए। जो आदमी समझदारी से उसमें से अच्छी बातें सीख ले वह हमेशा खुश रहता है।
13: बुद्धिमान सेनापति के दस सैनिक, दुश्मन के सौ मूर्ख सैनिको पर भारी पड़ते हैं।
14: खतरा बहादुर आदमी की आंखांे में सूर्य की किरणों की तरह चमक पैदा कर देता है।
15: हताश व्यक्ति को शब्दों के माध्यम से सांत्वना देना मदद नहीं करने के समान है। सच्चा दोस्त वह है जो संकट के समय जरूरतों को पूरा करे।
17: समृद्धि के साथ कई दोस्त भी आते हैं।
18: जो आदमी जवानी में सीखना नहीं चाहता वह अपने अतीत को खो देता है और उसके भविष्य की मौत हो जाती है।
19: भगवान उसका साथ देते हैं, जो कड़ी मेहनत करते हैं।
20:  अपने जीवन में संतुलन बनाए रखने का सबसे अच्छा और सुरक्षित तरीका है, आसपास और खुद में मौजुद ज्ञान। अगर आप इसे देख पाते हैं तो आप एक समझदार आदमी है।
21: बेशर्मी औऱ अक्खड़ता सबसे बड़ी और खराब बीमारी है।
22: साहसी व्यक्ति बिना बुद्धिमानी के असहाय है। जो आदमी अपने विचारों को आजादी से प्रकट नहीं कर सकता वह गुलाम है।
23: सबसे समझदार आदमी अपने ही आदेश का पालन करता है।

रविवार, 10 मई 2015

जीवन को आसान बनाने के लिए तीन तरीके

जिंदगी को एक बार दोबारा आसान और सफल बनाने के लिए तीन बातों को याद रखिए, जानिए इनके बारे में 
1: जिंदगी को पूरी तरह से बदल नहीं सकते हैं तो याद रखिए कि आप किन चीजों को अपने साथ आगे लेकर चल रहे हैं। क्या इन चीजों से सकारात्मक बदलाव आएंगे। क्या यह चीजें वाकई जरूरी हैं।
2: आप कुछ नया नहीं करना चाहते हैं या जीवन जैसा चल रहा है उसे वैसा ही चलने रहने देना चाहते हैं तो ना बोलना सीखिए। जब तक ना बोलने की आदत नहीं पड़ेगी, तब तक कुछ न कुछ नया होता जाएगा।
3: हर दिन सौ बातों पर फोकस नहीं किया जा सकता है। सकारात्मक नतीजों के लिए एक दिन में  केवल तीन बातों फोकस करिए। तीन बातों पर फोकस पर फोकस करने से सफलता आसानी से मिलेगी। ज्यादा बातों पर ध्यान देने से कोई भी नतीजा नहीं मिलेगा।

शनिवार, 9 मई 2015

समझदार इंसान खुद को भी देता है आदेश

यूरीपिडीस: इनका जन्म 480 ईसा पूर्व और निधन 406 ईसा पूर्व में हुआ था। यह प्राचीन ग्रीस के नाटककार थे। अरस्तू ने उन्हें ग्रीस का मोस्ट ट्रैजिक नाटककार कहा था। उन्हें अपने समय का सबसे विद्वान कवि कहा जाता है। वो बेहतरीन खिलाड़ी और का पेंटर भी थे। उन्होंने ट्रेजिडी नाटकों को आम लोगों की पसंद बना दिया।

खूबसूरत जिंदगी चाहते हैं, तो हौसला भी रखिए

रोजा लग्जेम्बर्ग: 1870 में पोलेंड में जन्मीं रोजा लग्जेम्बर्ग ने विभिन्न राजनीतिक आंदोलनों पर गहरा असर डाला। 1919 में उनकी हत्या कर दी गई।
1: महिलाओं की स्वतंत्रता के बिना कोई सामाजिक लोकतंत्र जिंदा नहीं रह सकता।
2: जो लोग आगे नहीं बढ़ते, वे अपनी जंजीरों के बारे में कभी नहीं जान पाते।

गुरुवार, 7 मई 2015

मुश्किलों से ऐसे निकलिए बाहर

बातें जिनसे दिमाग को मिलेगा सुकुन
जीवन में उतार-चढ़व लगे रहते हैं। जरूरत है तो बस खुद को बैलेंस्ड रखने की। कई बार दिमाग में चल रही हलचल में खुद को बैलेंस्ड रखना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में दिमाग को शांत रखने के लिए कुद बातें फायदेमंद रहेगी। जानिए इनके बारें में -
1: हर चीज दो बार बनती है। एक बार दिमाग और दूसरी बार हकीकत में। इसलिए अपनी सोच को काबू में रखिए, क्योंकि आपकी सोच ही असलियत का रूप लेगी।
2: आज आपके साथ जो कुछ हो रहो है उसमें ऐसा कुछ नहीं है जो आपको आगे बढ़ने से रोकेगा। एक वक्त में एक ही कदम बढ़ाए।

खुद को मोटिवेट करने के लिए

खुद से उलझाने वाले सवाल पूछिए
व्यक्ति की इक्छाएं एक जैसी ही होती हैं। हम सब प्यार, सम्मान, पैसा, बेहतर भविष्य  जैसी चीजें ही अपने लिए चाहते हैं। लेकिन यह हासिल उन्हें ही हो पाती हैं जो खुद  को इसके लिए प्रेरित कर पाते हैं। खुद से ऐसे उलझाने वाले सवाल कीजिए जिनसे आगे बढ़ने का रास्ता मिले। जानिए ऐसे ही कुछ सवालों के बारे में ...
मुश्किल क्यों उठाएं: मुश्किलें सबको आती हैं, लेकिन पता होना चाहिए कि इसका मकसद क्या है। इसका दूसरा पहलू यह है कि आप कोइ इक्छा रखते हैं, लेकिन उसे पूरा करने के लिए मुश्किल उठाना नहीं चाहते। तो मान लिजिए कि आप वास्तव में वह हासिल करना ही नहीं चाहते। ेेे

बुधवार, 6 मई 2015

अपनी इच्छा से महान या तुच्छ बनते हैं आप

फ्रेडरिक शिलर जर्मन भाषा के कवि, दार्शनिक इतिहासकार एवं नाटककार थे। उन्होंने नीति शास्त्र और  सौंदर्यशास्त्र के क्षेत्र में काफी काम किया। 13 साल की उम्र में उन्हें पिता ने अनिच्छा से मिलेट्री स्कूल भेज दिया, जहां उन्होंने पहले लाॅ और बाद में मेडिसिन की शिक्षा ली। उन्होंने स्टूटगार्ट रेजीमेंट में मेडिकल आॅफिसर रहे।
    जन्म: 10 नवंबर, 1759,     किताबें: आॅन द एस्थेटिक एजुकेशन आॅफ मैन, आॅड टू जाॅय, 
निधन: 9 मई 1805 
1: जो लोग छोटे-छोटे कामों को शांतिपूर्वक और अच्छी तरह करते हैं, वो मुश्किल कामों को आसानी  से करने की क्षमता हासिल का लेते हैं।
2: मजबूत आदमी तब और मजबूत होता है जब अकेला होता हैं। ईमानदारी जीवन की हर परिस्थिति में काम आती है।
3: भूल करने और सपने देखने की हिम्मत करो। बच्चों के खेल में अक्सर गहरे अर्थ होते है।
4: नेक दिमाग वाला बनो। दूसरे व्यक्ति की हमारे प्रति राय नहीं, दिल की आवाज सच्चा सम्मान दिलाती है।
5: जो प्राकृतिक या स्वाभाविक नहीं वह अच्छाई की ओर नहीं ले जा सकता। 
6: अपनी जवानी के सपनों के प्रति सच्चाई बनाए रखिए। शक्ति सबसे प्रेरक शब्द है। युवा अवस्था लोभ करती है, लोभ से खुद को नष्ट मत होने दीजिए।
7: प्रतिशोध व्यर्थ है। यह भयानक है। यह हत्या में खुशी देता है और निराशा इसका अंत है।
8: अमीर और अमीर होते जा रहे हैं व गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। यह रूदन दुनियाभर के सभ्य  समाज में सुना जा रहा है।

मंगलवार, 5 मई 2015

नाॅन-ड्यूरेबल उत्पादों से बदला कारोबारी माहौल

किंग कैंप ने शुरूआती उत्पादों की पैकेजिंग पर फोटो और सिग्नेचर भी दिया था।
संस्थापक: किंग कैंप जिलैट
  • जिलैट का परिवार 8-10 अक्टूबर 1971 की ग्रेट शिकागो फायर का पीडि़त रहा। इसमें 300 लोगों की जान गई थी।
  • प्रथम विश्व युध्द के दौरान जिलैट कंपनी ने अमेरिकी सैनिकों के लिए खास फील्ड रेजर सेट बनाए थे।

खराब नतीजा असफलता नहीं होता

योग्यता से ज्यादा महत्वपूर्ण है भूमिका 
ग्रुप प्रोजेक्ट के नतीजे उम्मीद के मुताबिक न हों तो निराशा स्वभाविक है। यह मुश्किल का कारण तब बनता है जब हम इसके लिए केवल खुद को जिम्मेदार मानने लगते हैं। हम खुद को महत्वपूर्ण समझने लगते हैं, जबकि इससे परफॅामेंस पर बुरा असर पड़ता हैं। जानिए इससे बचने के बारे में...


  •  वर्कप्लेस पर हर काम आपके चलते ही नहीं होता। न ही हर नतीजा आपकी उम्मीदों के मुताबिक हो सकता है। 
  •  दूसरों के काम में मदद करें। महत्वपूर्ण यह है कि संस्थान के लक्ष्यों को हासिल करने में आप कैसे मदद कर रहे हैं।
  • खराब नतीजोें के बारे में सोचकर उसके असली कारणों की अनदेखी कर रहे हैं। यह जानकर ही दोबारा गलती करने से बचेंगे।
  •  नतीजों को देखने का अपना नजरिया बदल सकते है। बेहतर नतीजों के लिए क्या  करना जरूरी है, इसका रास्ता ढूंढ सकते हैं।


सोमवार, 4 मई 2015

गलती के लिए बदला नहीं माफी दीजिए

अक्सर हम दूसरों के व्यवहार से परेशान होते हैं जबकि इनपे हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता। जानिए इससे बचने के तरीकों के बारे मंे...

  •  दूसरो का व्यवहार और काम करने का तरीका उनके अपने लक्ष्यों के अनुरूप होता हैं। इसे बदलने की बजाय अपने व्यवहार को बेहतर कीजिए।
  • आपकी कामयाबी या नाकामयाबी के लिए आप खुद ही जिम्मेदार हैं। इसके लिए दूसरों को दोष देने का कोई फायदा नहीं।
  • हालात या परिस्थतियों के बारे में शिकायत करने से भी कुछ हासिल नहीं होता। उनसे मुकाबले के लिए तैयारी करना बेहतर विक्लप है। 
  • कोई जानबूझकर परेशान करने की कोशिश कर रहा है तो भी उसे माफ कर दीजिए। बदला लेने की कोशिश में आप लक्ष्य से भटक जाएंगे।


रविवार, 3 मई 2015

हेल्थ मैनेजमेंट: एन्जाइना के लक्षण और कारण

छाती में दर्द के कई कारण इन्हें पहचानना सीखिए: डाॅ. पीयूष जैेन (डिपार्टमेंट आॅफ प्रीवेंटिव कार्डियोलाॅजी, फोर्टिस हाॅस्पिटल, दिल्ली।)
छाती के दर्द यानी एन्जाइना की बीमारी। दिल को पर्याप्त मात्रा में खून न पहुंचने के कारण यह समस्या होती है। कोरोनरी आर्टरिज़ में ब्लाॅकेज इसका है। लेकिन हर तरह के छाती के दर्द को एन्जाइना नहीं कह सकते। एन्जाइना को पहचानने के लिए ध्यान रखिए-

शनिवार, 2 मई 2015

नौकरी में निखारा हुनर, उधार लेकर शुरू की अपनी कंपनी


1926 में हेंस ने पहली वाॅटरप्रूव रिस्ट वाॅच ‘ओयेस्टर ‘ बनाई। इसके बाद 1945 में ऐसी हाथ घड़ी बनाई जिसकी तारीख ख्ुाद-व -खुद बदल जाती थी। दो टाइम जोन को बताने वाली पहली रिस्ट वाॅच का श्रेय भी हेंस को जाता है।
आज रोलेक्स दुनिया का सबसे बड़ा लग्जरी वाॅच ब्रैंड है। यह हर साल 6 लाख 50 हजार से 8लाख तक घडि़या बनाती है। इसका सालाना रेवेन्य 3 बिलियन डाॅलर ( करीब 186 अरब रूपए ) है। 
जेम्स बाॅण्ड सीरीज की शुरूआत फिल्मों में इस मशहूर किरदार ने रोलेक्स की घड़ी  पहनी है। शीन काॅनेरी से शुरू हुआ यह सिलसिला पीयर्स ब्रासनन तक चला। 
हेंस विल्सडोर्फ: जन्म: 22 मार्च 1881, जर्मनी ,संस्थापक : रोलेक्स 
हेंस के बचपन में ही उनकी मां की मौत हो गई थी। मां की मौत का सदमा पिता बर्दाश्त नहीं कर सके नतीजतन वे भी चल बसे। यह 1893 की बात है। उस वक्त हेंस की उम्र 12 साल थी। हेंस के अंकल ने उसके पिता के बिजनेस को बेचकर उनका कर्ज चुकाया। बचे हुए पैसो से बच्चों की बेहतर शिक्षा का बंदोबस्त किया। तीन भाई-बहनों में हेंस अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे। बचपन में विल्सडोर्फ की रूचि गणित और भाषा में थी इससे उन्हें विभिन्न देशों की यात्रा करने और वहां काम करने में मदद मिली।
शुरू में उन्होंने दुनियाभर में मोतियों का निर्यात करने वाली एक फर्म में काम किया, जहां वैश्विक कारोबार के गुर सीखे। हेंस ने इस शुरूआती अनुभव का असर अपने पूरे जीवन पर कुबूल किया है। 1931 के एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि अगर मैंने अपनी शुरूआत निर्यात की बारीकियों को सीखने से न की होती, तो आज मैं वो नहीं होता, जो हूं।
20वीं सदी की शुरूआत के साथ ही हेंस के भीतर बैठे घड़ी के कारोबारी की यात्रा शुरू होती है। मोतियों की फर्म का काम छोड़कर महज 19 साल की उम्र में वे स्विट्जरलैंड चले गए। वहां सन् 1900 में हेंस ने उस वक्त की सबसे बड़ी घड़ी निर्यातक कंपनी कुनो कोर्टन में काम शुरू किया। यहां उन्हें दुनिया के विभिन्न हिस्सों के साझेदारों के साथ अंग्रेजी में पत्र व्यवहार करने का काम मिला। 80 फ्रेंक प्रति माह की सेलरी पर। इस वक्त जिनेवा के साथ ला चाउक्स दे फोन्ड्स घड़ी निर्माता कंपनियों का हब था। यहां हेंस की मुलाकात इस इंडस्ट्री के कई दिग्गजों से हुई।ं इन मुलाकातों में मिलीं सिखों से उन्हें रोलेक्स कंपनी की स्थापना में बड़ी मदद मिली।
1903 में हेंस ने स्विट्जरलैंड छोड़ दिया और लंदन आ गए। इस वक्त उनके दिमाग में यह साफ था कि क्या करना है। वे घड़ी निर्माता बनना चाहते थे। लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। अपने सपने को कुछ दिनों के लिए मुल्तवी कर उन्होंने लंदन में भी एक घड़ी कंपनी में काम किया। अपने चार-पांच साल के अनुभव से हेंस ने एक बात समझ ली थी कि सभी कंपनीयां घड़ी निर्मान के पुराने और स्थापित मानदंडों पर ही चल रही हैंै। कोई भी नई डिजाइन और जरूरतों के हिसाब से बदलाव नहीं कर रहा है। हेंस ने इसे अपनी ताकत बनाया। 
वे जल्द से जल्द अपना काम शुरू करना चाहते थे। जमा पूंजी उनके पास नहीं थी और बाजार से उन्हें कोई रकम नहीं मिल सकती थी। तब उन्होंने अपनी बहन से उधार लिया और जीजा अल्फ्रेड डेविस को पार्टनर बनाया। 24 साल की उम्र में 1905 में उन्होंने विल्सडोर्फ एंड डेविस नाम से लंदन में घड़ी निर्माण कंपनी शुरू की।
उनकी पहली घड़ी की खासियत थी एक ट्रेवलिंग वाॅच, इसे पोर्टफोलियो वाॅच कहा जाता था। हेंस ने इसमें उच्च गुणवत्ता वाले लैदर का इस्तेमाल किया था। लेकिन यह हाथ में बांधने वाली घड़ी नहीं थी। जबकि हेंस समझ चुके थे कि आने वाला भविष्य हाथ में बांधने का ही है। एक जगह उन्होंने लिखा है कि उनका विचार है कि पाॅकेट वाॅच के बजाय रिस्ट वाॅच एक बेहतर ट्रेड होगा। इसके पीछे सोच थी कि यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के हाथों में पहुंचेंगी।
इसके बाद हेंस ने दुनियाभर की यात्राएं शुरू कीं। 2 जुलाई 1908 को हेंस ने स्विट्जरलैंड में रोलेक्स ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड कराया था। इस बीच 1915 ब्रिटिश सरकार ने लग्जरी उत्पादों पर निर्यात ड्यटी बढ़ाकर 33 प्रतिशत कर दी। इसके दुष्प्रभावों को भांपकर हेंस ने 1919 में एक आॅफिस स्विट्जरलैंड में शुरू किया। 1920 के बाद वे स्विट्जरलैंड में ही बस गए।

शुक्रवार, 1 मई 2015

जिंदगी के हर रास्ते पर आगे रहने के तरीके

डाॅ. करण ठाकुर: जीएम- आॅपरेशंस एंड पब्लिक अफेयर्स, अपालो अस्पताल ।
ज्यादातर लोग एक वक्त पर कई काम करते हैं। इससे जिंदगी की गति तेज़ लगती है, लेकिन दिमाग इन चीज़ों को जल्दी प्रोसेस नहीं कर पाता है। कुछ लोग ऐसे हैं जो काम को निजी जीवन से अलग नहीं कर पाते हैं। इससे दिमाग हमेशा काम में ही उलझा रहता है। इसका एक ही हल है। बिज़ी वर्क लाइफ के प्रेशर और डिमांड को मैनेज करने से सकारात्मक नतीजे मिलेंगे। ऐसा करना आसान नहीं है, लेकिन इन टिप्स को फाॅलो करने से फायदा होगा...
यह सिर्फ एक जाॅब है, जिंदगी नहीं: जाॅब में सबसे अच्छा परफॅार्म करके आगे बढ़ने की सोच अच्छी है, लेकिन जाॅब को जरूरत से ज्यादा अहमियत देना गलत है। ऐसा करने से आगे बढ़ जाएंगे, लेकिन स्वास्थ्य को नुकसान होगा।
रूटीन बनाना जरूरी: सुबह उठते ही स्मार्टफोन उठाकर ईमेल चैक करने की जरूरत नहीं है। घर और काम को अलग करने के लिए एक रूटीन बनाएं। घर पर हो तो ऐसे काम करिए जो इंटरेस्ट के हैं। जैसे अखबार पढ़ना, गार्डनिंग करना या कोई स्पोर्ट खेलना आदि। आॅफिस में भी पूरा दिन ईमेल चैक करने की जरूरत नहीं है। एक वक्त निर्धारित करिए जब आप ईमेल्स चैक करेंगे।
दोस्त बनाइए: आॅफिस में कुछ दोस्त हैं तो अच्छा है। उनके साथ गाॅसिप सेशन बनाए ऐसा काम के दौरान न करें, लेकिन काम पूरा होने के बाद। सेशन में अपनी समस्याओं की चर्चा करिए। इसी तरह से आॅफिस के लोगों के साथ बाहर जाने से भी तनाव कम होगा।
मजबूत वर्किग रिलेशन: बाॅस के साथ अच्छा वर्किंग रिलेशन जरूरी है। कई बार बाॅस के साथ कम्युनिकेशन गैप होने के कारण तनाव बढ़ने लगता है। कई बाॅस अच्छे होते हैं, लेकिन एक बुरे बाॅस के साथ काम करना गलत साबित होगा। जबकि अच्छे बाॅस के साथ कोई बोरिंग जाॅब भी इंटरेस्टिंग लगेगी।