अनिल अंबानी (चेयरमैन, रिलायंस ग्रुप )
मैं कई वर्षों से दौड़ रहा हूं। लंबी दूरी की दौड़। ज्यादातर मैं उजाला होने के पहले तड़के दौड़ता हूं, जब ज्यादातर मुंबई नींद के आगोश में होती हैं। 3ः30-4 बजे में खुद-ब-खुद जाग जाता हूं। अलार्म की जरूरत नहीं पड़ती। दौड़ते समय में एक प्रकार के ध्यान में चला जाता हूं। इसी अवस्था में मेरे दिमाग में बिजनेस के बेस्ट आइडिया आए हैं। लंबी दूरी की दौड़ में लोग अकेलेपन की बात करते हैं पर मुझे कभी ऐसा लगा नहीं। कभी-कभी साथ में परिचित या मित्र होते हैं। फिर में उनके हिसाब से रफ्तार एडजस्ट कर लेता हूं ताकि बातचीत में सहूलियत रहे। अकेले में संगीत सुन लेता हूं। मैं हफ्ते में छह दिन दौड़ता पांच दिन तो घर पर ही दो घंटेेे टेªडमिल पर दौड़ता हूं, लेकिन छठा दिन घर के बाहर ही होना चाहिए। में कभी रनर नहीं था। मैंने जब दौड़ना शुरू किया तो पिताजी ने कहा कि तुम जिंदगी में हर लग्जरी खरीद सकते हो, लेकिन सेहत नहीं। वे कितने सही थे। मेरा वजन तब 105 किलो था और अब 68 पर आ गया है। दौड़ने से शरीर में एंडोमाॅर्फिन्स निकलते हैं, जो न्यूरोट्रांसमीटरर्स को सक्रिय करते हैं। सार्टोनिन लेवल बढ़ने से उत्साह कई गुना बढ़ जाता है।
दौड़ने की प्रेरणा मुझे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जार्ज बुश से मिली। वे इतनी उम्र में भी मुझसे तेज गति से 5 किलोमीटर दौड़ते हैं। वह दौड़ने का समय निकाल ही लेते हैं। राष्ट्रपति थे तब लंबी दूरी की उड़ान के दौरान दौड़ लेते थे। मुंबई मैराथन में भाग लेने जा रहा था तो मेरी मां कहने लगी बेटा इतना दौड़ने की जरूरत क्या है। थोड़ा-सा दौड़ना काफी नहीं है किंतु जब मैंने मैराथन पूरी की तो वे इतनी उत्साहित हो गई कि कहने लगी कि हम घर पर सत्संग व अन्य आध्यात्मिक कार्यक्रम करते रहते हैं, उसकी जगह खेलों के लिए कोई सार्थक पहल क्यों नहीं कर सकते ! एक बार मंेै फ्लाइट में था तो किसी ने आॅटोग्राफ मांगे। मैं कहा मेरे मेरी पत्नी के ले लिजिए। उन्होंने कहा नहीं, आप मेरे हीरो हैं। देखा तो धनराज पिल्लई थे। मैंने कहा आप धनराज पिल्लई है न। उन्हें आश्चर्य हुआ कि मैं उन्हें पहचान गया। कहने लगे, आजकल हाॅकी के खिलाड़ी को कौन पहचानता है। मैंने शर्त रखी कि वे अपने आॅटोग्राफ दें तो मैं भी दूंगा। देखिए मैराथन दौड़ ने मुझे शोहरत भी दी है! (संस्मरणों के आधार पर)
हफ्ते में 6 दिन दौड़ते हैं। जिस दिन दौड़ने का मन नहीं करता, वही छुट्टी का दिन। कहते हैं, दौड़ने से एंडोमाॅर्फिन्स निकलते है, जो मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटरर्स को सक्रिय करते हैं।
उघोगपति अदि गोदरेज के साथ 54 किलोमीटर की कैलाश मानसरोवर परिक्रमा एक दिन में पूरी कर चुके हैं, जिसमेें आमतौर पर 2-3 दिन लगते हैं।
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