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शुक्रवार, 5 जून 2015

जागृत होने के लिए खुद के भीतर देखिए

कार्ल जंग: 26 जुलाई 1875 - 6 जून 1961
कार्ल गुस्ताव जंग स्विटजरलैंड के विचारक और मनोचिकित्सक थे। उन्हें विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान का फाउंडर माना जाता हैं। उन्होंनंे दर्शनशास्त्र, समाज, साहित्य, कला और धार्मिक अध्ययन के क्षेत्र में भी काम किया है।

  • आपका नजरिया तभी स्पष्ट होगा जब अपने मन के भीतर देखेंगे। जो बाहर देखते हैं वे सपने देखते हैं और जो भीतर देखते हैं वे जागृत हो जाते हैं।
  • नशे का हर रूप खराब है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि नशा शराब का है, या अफीम का या आदर्शवाद का। 
  • हर वह चीज जो हमारे मन में दूसरों के प्रति चिढ़ पैदा कर सकती है, वही हमें खुद को बेहतर तरीके समझने की ओर भी ले जाती है।
  • गुणवान आदमी दूसरों को प्रताडि़त नहीं करता। आमतौर पर प्रताडि़त व्यक्ति प्रताड़ना देने वाला बन जाता है।
  • दो व्यक्तियों का मिलना दो केमिकल तत्वों के मिलने के समान है, अगर कोई रिएक्शन होता है तो दोनों पूरी तरह बदल जाते हैं।
  •  एक आदमी के पैर में आसानी से आ जाने वाला जूता दूसरे को काट सकता है। जिंदगी का ऐसा कोई नुक्सा नहीं है जो सभी को एक समान सूट हो।
  • भावनाओं के बिना अंधेरे को उजाले और उदासीनता को आंदोलन में नहीं बदला जा सकता ।
  •  अच्छा हुनर मानवता के पेड़ पर लगे सबसे सुंदर और खतरनाक फल होते हैंै। ये पतली डाल पर लगे होते हैं, जहां से इन्हें आसानी से तोड़ा जा सकता है।
  • चीजें कैसी हैं ये उनके होने पर नहीं बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि हम उसे कैसे देखते है।
  • ज्ञान सिर्फ सच्चाई पर ही नहीं गलतियों से भी हासिल किया जाता है। दूसरों की अज्ञानता से निपटने के लिए अपनी अज्ञानता पता होना जरूरी है।
  • दिमाग का पेंडुलम सार्थक और निरर्थक के बीच झूलता रहता है, सच और झूठ के बीच नहीं।
  • दर्द के बिना चेतना का अहसास नहीं किया जा सकता।
  • हमें दुनिया को सिर्फ ज्ञान के बल पर समझने का दावा नहीं करना चाहिए। ज्ञान की पहचान सच्चाई का सिर्फ एक अंग है। 


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