-बाबा रामदेव: योग गुरू
ब्रीदिंग गुब्बारे की तरह होनी चाहिए। सांस भरे तो पेट फूलना चाहिए और सांस छोडे़ तो पेट पूरी तरह अंदर की ओर चला जाना चाहिए।
प्राणायाम से फेफड़े मजबूत होने के साथ कफ व एलर्जी से जुडे़ रोग दूर हो जाते हैं।
योग की छह शाखाएं हैं। जिसे आज आमतौर पर योग समझा जाता है, वह वास्तव में हठ योग है। योग का यही सबसे लोकप्रिय रूप है। हठ योग की तीन शाखाएं हैं। योगासन, प्राणायाम यापी ब्रीदिंग और मेडिटेशन। सेहत के लिए तीनों का अपना महत्व है। यह कोई नई चीज नहीं है। यह हजारों वर्षों से है। इसलिए यह कहना उचित नहीं होगा कि मैंने कोई नई खोज की है। मैंने इसे ज्यादा व्यावहारिक बनाया। इससे ऐसे नतीजे मिले, जिसकी पुष्टि की जा सकती है। हमारे पास नई विधियों की प्रभावशीलता के प्रमाण हैं। मैंने प्राणायाम के लिए लगने वाले समय को वक्त के मुताबिक ढालने जैसे कई बदलाव किए। इससे फायदा हुआ।
सेहज के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज बहुुत फायदेमंद है, क्योंकि यदि हम सही ढंग से सांस नही ले रहे हैं तो सेहत के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। सांस के जरिये ही कोशिकाओं को आॅक्सीजन मिलती है और शरीर में बनने-टूटने की क्रियाएं तेज होती हैं। आप जल्दी-जल्दी सांस लेते हैं या पर्याप्त गहनाई से नहीं लेते तो खून में अम्लीयता बढ़ सकती है और फिर मस्तिष्क व मांस-पेशियों को पर्याप्त रक्त मिलने में बाधा आ सकती है।
अब आप कैसे जानें कि आप सही ढंग से सांस ले रहे हैं या नहीं, यदि सांस लेते समय आपका सीना उपर उठता तो मतलब है कि आप गहराई से सांस नहीं ले रहे हैं यदि कंधों की मांस-पेशियों में कड़ापन है या दर्द होता है तो यह गहरी सांस के सांस के अभाव का संकेत है। बार-बार उबासी लेने का मतलब है कि आपको पर्याप्त अॅाक्सीजन नहीं मिल रही है। विश्राम के समय सांस की रफ्तार 10 से 12 सांस प्रति मिनट होती है। यदि 12 से ज्यादा हो तो सांस ठीक से नहीं ले रहे हैं।
सही ढंग से सांस लेने के लिए प्राणायम सर्वश्रेष्ठ तरीका है। रीढ़ को सीधे रखकर मुंह बंद कर नाक से गहरी सांस लें। 1-2 मिनट से शुरू कर इसे 5 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है। प्राणायाम के कई प्रकार है। अनुलोम-विलोम एक प्रकार है, जो काफी सरल होने के साथ शरीर को पर्याप्त आॅक्सीजन सप्लाई की दृष्टि से उपयोगी है। इसमेें दांए नथुने से सांस लेकर बाएं से छोड़ें और फिर उसी नथुने से सांस लेकर दाएं नथुने से छोड़े। इसे भी कुछ मिनटों से शुरू कर 5 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है। (जैसा उन्होेंने योग कार्यक्रम में बताया।)
नियमित रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने से धमनियों में ब्लाॅकेज नहीं बनते ओैर रक्त में काॅलेस्ट्राॅल का संतुलन बना रहता है, क्योंकि शरीर को पर्या्र्र्रप्त आॅक्सीजन मिलते लगती है।
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